धनबाद, 12 जनवरी: बसंत पंचमी का पावन पर्व, जो विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना के लिए जाना जाता है, इस साल 2 फरवरी को मनाया जाएगा. धनबाद में इस त्योहार को लेकर जबरदस्त उत्साह है. पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं, और मूर्ति निर्माण का कार्य पूरे जोश के साथ चल रहा है. मां सरस्वती की पूजा विद्यार्थियों और विद्या प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखती है. धनबाद के प्रसिद्ध मूर्तिकार मंटु राम, अपनी अनोखी कला और समर्पण के साथ, इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं.
गंगा की मिट्टी से बन रही हैं भव्य मूर्तियां
धनबाद के अनुभवी मूर्तिकार मंटु राम पिछले 19 वर्षों से मां सरस्वती की प्रतिमाएं बना रहे हैं. उनका कहना है कि मूर्ति निर्माण उनके लिए केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है. मंटु राम विशेष रूप से गंगा की मिट्टी और स्थानीय मिट्टी का उपयोग करते हैं. उनका मानना है कि गंगा की पवित्र मिट्टी से बनाई गई मूर्तियों में दिव्यता का अनूठा आभास होता है.
डेढ़ महीने पहले से शुरू हो जाता है निर्माण कार्य
सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति निर्माण का कार्य डेढ़ महीने पहले ही शुरू हो जाता है. मंटु राम विभिन्न आकारों और डिजाइनों की मूर्तियां बनाने में माहिर हैं. चाहे छोटी मूर्तियां हों या बड़े आकार की भव्य प्रतिमाएं, वे हर प्रकार की मूर्तियों को बारीकी और श्रद्धा के साथ तैयार करते हैं.
कला और आर्थिक पहलू
मंटु राम ने बताया कि एक सीजन में वे लगभग 100 मूर्तियां बनाते हैं. इन मूर्तियों को तैयार करने में लगभग ₹50,000 का खर्च आता है. तैयार मूर्तियों की बिक्री से उन्हें ₹80,000 से ₹90,000 तक की आमदनी हो जाती है. उनकी कला धनबाद में न केवल आर्थिक रूप से उन्हें स्थिरता देती है, बल्कि इस क्षेत्र में मूर्ति निर्माण की परंपरा को भी जीवित रखती है.
हर मूर्ति में झलकती है भक्ति और श्रद्धा
मंटु राम के अनुसार, मां सरस्वती की कृपा से वे किसी भी प्रकार की प्रतिमा बना सकते हैं. यहां तक कि किसी व्यक्ति का स्टेचू बनाने की मांग होने पर भी वे हूबहू प्रतिमा तैयार कर सकते हैं. उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां न केवल खूबसूरती और बारीकी से सजी होती हैं, बल्कि उनमें भक्ति और श्रद्धा का अनोखा भाव भी झलकता है.
धनबाद में मूर्तियों की बढ़ती मांग
धनबाद में सरस्वती पूजा के दौरान मां सरस्वती की प्रतिमाओं की मांग काफी बढ़ जाती है. मंटु राम जैसे प्रतिभाशाली मूर्तिकार अपनी कला के माध्यम से इस परंपरा को न केवल जीवित रखे हुए हैं, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर भी ले जा रहे हैं. उनकी मूर्तियां धनबाद और आसपास के इलाकों में अपनी खूबसूरती और दिव्यता के लिए जानी जाती हैं.
बसंत पंचमी के उल्लास का प्रतीक
बसंत पंचमी का पर्व धनबाद में विशेष उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है. मां सरस्वती की पूजा न केवल विद्या और ज्ञान के प्रति आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा को जीवंत रखने का माध्यम भी है.
