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कॉमेडी किंग जसविंदर भल्ला का निधन, याद आएंगे किस्से

पंजाब 22 अगस्त 2025 पंजाबी सिनेमा और कॉमेडी की दुनिया के दिग्गज कलाकार जसविंदर भल्ला अब हमारे बीच नहीं रहे। शुक्रवार तड़के उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। 65 वर्षीय भल्ला जी के निधन की खबर से पूरी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री और लाखों प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है। 

‘दुल्ला भट्टी’ से की थी फिल्मी करियर की शुरुआत 
‘मेल करादे रब्बा’, ‘जट्ट एंड जूलियट’, ‘चक दे फट्टे’, ‘कैरी ऑन जट्टा’, ‘डैडी कूल मुंडे फूल’ जैसी फिल्मों से फिल्म जगत में मशहूर हुए जसविंदर भल्ला का जन्म 4 मई 1960 को दोराहा, पंजाब में हुआ था। जसविंदर भल्ला का विवाह परमदीप भल्ला से हुआ, जो फाइन आर्ट्स की अध्यापिका हैं। उनके बेटे का नाम पुखराज भल्ला है, जो 2002 से ‘छनकाटा ’  में भी दिखाई दिए। जसविंदर भल्ला को पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में हास्य कलाकार के रूप में जाना जाता है। वे मुख्य रूप से अपने कार्यक्रम ‘छनकाटा’ और किरदार ‘चाचा चतरा’ के लिए मशहूर हुए। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ‘दुल्ला भट्टी’ से की थी और उसके बाद कई पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया।

इन फिल्मों में किया काम
जसविंदर भल्ला ने ‘महौल ठीक है’, ‘जीजा जी’, ‘जिन्ने मेरा दिल लुटिया’, ‘पावर कट’, ‘कबड्डी इक वार फिर’, ‘आपां फिर मिलांगे’, ‘मेल करादे रब्बा’, ‘कैरी ऑन जट्टा’, ‘जट्ट एंड जूलियट’, ‘जट्ट एंड जूलियट 2’, ‘जट्ट एयरवेज़’, ‘वेख बरातां चल्लियां’, ‘बैंड बाजे’, ‘गोलक बुगनी बैंक ते बटुआ’, ‘मैरेज पैलेस’, ‘नौकर वहूटी दा’ जैसी फिल्मों में शानदार किरदार निभाए। उन्होंने कहा था कि उनकी फिल्में हमेशा सामाजिक बुराइयों जैसे कन्या भ्रूण हत्या, नशाखोरी और बेरोजगारी को उजागर करती हैं। उन्हें कई श्रेष्ठ पंजाबी कॉमेडियन अवॉर्ड्स मिले और उनकी डायलॉग डिलीवरी को सबसे तेज और असरदार माना जाता है।

कृषि विभाग में सेवा
जसविंदर भल्ला ने 1982 और 1985 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से बी.एससी. (ऑनर्स) और एम.एससी. (एक्सटेंशन एजुकेशन) पूरी की। पीएयू में आने से पहले उन्होंने कृषि विभाग, पंजाब में एआई/एडीओ के रूप में भी सेवा की। 1989 में वे पीएयू के कृषि विस्तार शिक्षा विभाग में सहायक प्रोफेसर बने और सेवा-काल के दौरान 2000 में सीसीएसयू, मेरठ से पीएचडी (कृषि विस्तार) पूरी की।

कॉमेडी करियर
जसविंदर भल्ला ने आज़ादी दिवस और गणतंत्र दिवस परफॉर्मेंस से अपने हास्य सफर की शुरुआत की। उन्हें और उनके दो साथियों को 1975 में ऑल इंडिया रेडियो के लिए चुना गया। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान भी वे कार्यक्रमों में हास्य प्रस्तुतियां देते थे। उन्होंने 1988 में बाल मुकुंद शर्मा के साथ ऑडियो कैसेट ‘छणकाटा’ से पेशेवर करियर की शुरुआत की। अपनी कला का लोहा मनवाने के साथ-साथ जसविंदर भल्ला ने पंजाबी सिनेमा की तरक्की में भी बड़ा योगदान दिया। उनके फिल्मी करियर की असली शुरुआत ‘महौल ठीक है’ (1999) से मानी जाती है, जिसमें उन्होंने इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने कई यादगार किरदार निभाए, जो दर्शकों के दिलो-दिमाग में आज भी बसे हुए हैं।

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