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भाजपा सदस्यता अभियान अगले महीने शुरू, सिखों और किसानों का भरोसा जीतना चुनौती

चंडीगढ़ 19 अगस्त 2024 : भारतीय जनता पार्टी सितंबर महीने से अपना सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का निशाना 18 करोड़ लोगों को साथ में जोड़ने का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीसरी बार सरकार बनाने वाली भाजपा का हौसला जरूर बुलंद हो लेकिन पंजाब में पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण क्षेत्र होगी।

पंजाब में अपने दम पर खड़ी होने की कोशिश में भाजपा

भाजपा का सदस्यता अभियान तब शुरू हो रहा है जब पंजाब में भाजपा अपने दम पर खड़ी होने की कोशिश में है। मत प्रतिशत के लिहाज से लोक सभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन भले ही अच्छा रहा हो लेकिन इसके बावजूद पार्टी को पंजाब में एक भी सीट नहीं मिली थी। भाजपा की नजर ग्रामीण क्षेत्रों पर तो है लेकिन गांवों में सदस्यता अभियान को चलाना पार्टी के लिए आसान नहीं होने वाला है।

भाजपा के लिए नई चुनौती

भाजपा के सामने चुनौती यह है कि शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूटने के बावजूद वह अभी तक शहरी व हिंदुओं की पार्टी के रूप में जानी चाहती है। लोक सभा चुनाव में पार्टी को मिले वोटों के मंथन में भी यह बात सामने आई कि शहरी सिख और जट सिख भाजपा के साथ नहीं गए। राम मंदिर लहर के बावजूद पंजाब के हिंदुओं का वोट ज्यादातर कांग्रेस के खाते में गया।

किसान आंदोलन की वजह से भाजपा के घटे वोट

वहीं, किसान संगठनों के विरोध के कारण गांव में भाजपा को समर्थन नहीं मिला। कई ग्रामीण बूथों पर भाजपा को मात्र 1 से लेकर 5 वोट तक मिले। भाजपा के लिए राहत वाली बात यह रही की वह मजहबी सिखों का भरोसा जीतने में कामयाब रही। वहीं, दूसरे राज्यों से आए लोगों ने भी भाजपा को वोट दी। पंजाब में पहली बार अकेले दम पर लोक सभा का चुनाव लड़ी भाजपा ने 18.57 फीसदी वोट शेयर हासिल कर सारी राजनीतिक पार्टियों को चौंकने पर मजबूर जरूर कर दिया।

किसानों और सिखों का भरोसा जितेगी भाजपा?

सितंबर माह से शुरू होने वाले सदस्यता अभियान के तहत अब भाजपा की नजर गांव पर भी है। लोक सभा चुनाव के दौरान भाजपा ने बड़े स्तर पर ग्रामीण व सिख समुदाय के लोगों को अपने साथ जोड़ा था। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिखों और खास कर किसानों का भरोसा जीतना है।

क्योंकि सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर दो किसान संगठनों द्वारा शंभू बार्डर पर दिए जा रहे धरने को बाकी किसान संगठनों का समर्थन नहीं हो लेकिन इसकी वजह से किसान भाजपा से दूरी बनाए रखते हैं। ऐसे में सदस्यता अभियान के जरिए भाजपा के लिए किसानों सिखों और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में अपनी छवि को बदलना बेहद अहम होगा।

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