• Fri. Dec 5th, 2025

Badrinath Dham: कपाट बंद होने से पहले होती है ये खास रस्म

03 मई 2025 : उत्तराखंड के चमोली जिले में भगवान विष्णु के धाम बद्रीनाथ धाम के पट 6 महीने के बड़े इंतजार के बाद 4 मई को खोले जाएंगे. 17 नवंबर 2024 को चारधाम यात्रा के समापन पर इस मंदिर को वैदिक रीति-रिवाज से 6 माह के लिए अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया था. अब यह मंदिर 4 मई 2025 को वैदिक रीति रिवाज के साथ खोला जाएगा.बंद करते समय मंदिर में प्रभू की मूर्ति और मंदिर प्रांगण में अनेकों वैदिक रस्म और रिवाज निभाई जाती हैं. आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

भगवान विष्णु को उढाते हैं कंबल : मंदिर बंद होने की प्रक्रिया में बद्रीनाथ धाम को कई कुंटल फूलों के साथ सजाया जाता है. श्री हरि के बमंग में मां लक्ष्मी की मूर्ति को अगले 6 माह के लिए विराजमान किया जाता है. मंदिर को बंद करने से पहले भगवान बद्री विशाल को गाय के घी से कंबल को गीला करके उढ़ाया जाता है. ये कंबल कच्चे सूत से बना होता है.

जलाते हैं अखंड दीप : कपाट बंद होने से पहले श्री हरि के सम्मुख गर्भ ग्रह में एक दीप प्रज्वलित किया जाता है. 6 माह बाद कपाट खुलने पर दीप जलता हुआ मिलता है. माना जाता है इन दिनों में देव ऋषि नारद मुनि श्री हरि की सेवा एवं पूजा करते हैं.

महिला के वेश में जाते हैं पुजारी : जब मंदिर में गर्भ ग्रह को बंद किया जाता है तब मंदिर के मुख्य पुजारी रावल महिला के वेश धारण करके मां लक्ष्मी को प्रभु के साथ विराजमान करते हैं. मुख्य पुजारी रावल महिला वेश इसलिए धारण करते हैं कि वह मां लक्ष्मी की सखी देवी पार्वती का रूप धर के माता को श्री हरि के साथ विराजमान करते हैं. मंदिर के कपाट बंद होने पर मुख्य पुजारी रावल इतने भावुक हो जाते हैं कि उन्हें उल्टे पैर मंदिर से बाहर लाया जाता है.

6 माह तक जोशीमठ में होती है पूजा : बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ ग्रह के बंद होने के पश्चात बद्री विशाल की डोली को जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में स्थापित किया जाता है. जहां शीतकाल में उनके चल विग्रह की पूजा होती है. श्री बद्री विशाल धाम के पट खुलने पर इस डोली को बड़ी धूमधाम से वापस बद्रीनाथ धाम में स्थापित किया जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *