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आमलकी एकादशी व्रत: शुभ योग में करें पूजा, मिलेगा हजार गायों के दान का पुण्य!

09 मार्च 2025: आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च सोमवार को रखा जाएगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रत और भगवान विष्णु की पूजा होगी. पूजा के समय आपको भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी के पत्ते, पीले फूल, फल, हल्दी, चंदन, माला, धूप, दीप आदि अर्पित करते हुए पूजन करना चाहिए. फिर आपको आमलकी एकादशी की व्रत कथा पढ़नी या सुननी चाहिए. इससे व्यक्ति को 1000 गायों को दान करने के बराबर पुण्य मिलता है. इस व्रत में भगवान विष्णु को आंवले का फल अर्पित करते हैं, आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं. आमलकी एकादशी का व्रत फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि को होता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं आमलकी एकादशी की व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय.

आमलकी एकादशी व्रत कथा
एक समय की बात है, जब महर्षि वशिष्ठ के पास राजा मांधाता पहुंचे और उन्होंने जगत कल्याण के लिए एक कथा सुनाने को कहा. तब म​हर्षि वशिष्ठ ने राजा मांधाता को आमलकी एकादशी की व्रत कथा सुनाते हैं. जो सभी पापों को मिटाकर मनुष्य को 1000 गायों के दान का पुण्य प्रदान करता है. पढ़ें आमलकी एकादशी व्रत कथा.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा चैतरथ थे, जो पुण्यात्मा और धर्म के कार्यों में पूरा सहयोग करते थे. वे वैदिश नगर के राजा थे. वे भगवान विष्णु की पूजा करते थे. उनकी प्रजा भी श्रीहरि की पूजा करती थी. वहां के लोग धर्म परायण थे. एक समय आमलकी एकादशी के अवसर पर लोग व्रत थे. उन सभी ने विष्णु मंदिर में पूजा अर्चना की और आमलकी एकादशी की व्रत कथा सुनी. रात के समय में जागरण किया. उस दौरान मंदिर में एक शिकरी भी पहुंचा था.

उस शिकारी ने भी आमलकी एकादशी की पूजा की. व्रत कथा सुनी और रात्रि जागरण का पुण्य प्राप्त किया. अगले दिन सुबह होने पर वह घर पहुंचा. वहां उसने खाना खाया और सो गया. उस शिकारी की मृत्यु उसी दिन हो गई. उसका जन्म राजा विदूरथ के घर बेटे के रूप में हुआ. उस बच्चे का नाम वसुरथ रखा गया. पिछले जन्म में आमलकी एकादशी के व्रत, पूजा, कथा श्रवण से जो पुण्य प्राप्त हुआ था, उसके फलस्वरूप शिकारी इस जन्म में राजा का पुत्र बना था.

जैसे-जैसे समय व्यतीत हुआ, वह बालक बड़ा हुआ और एक दिन वह भी राज बन गया. एक दिन वह जंगल में गया, लेकिन रास्ता भटक गया. तब वह एक पेड़ के नीचे सो गया. तभी कुछ लोगों ने उस पर हमला कर दिया. उसी दौरान उसके शरीर से एक स्त्री प्रकट हुई. उसने सभी को मारकर राजा वसुरथ के प्राणों की रक्षा की. वसुरथ की जब नींद पूरी हुई तो देखा कि आसपास काफी लोगों के शव पड़े थे.

तब वसुरथ ने कहा कि इस जंगल में उसका हितैषी कौन है, जिसने उसे मृत्यु से बचाया है. तभी आसमान से आकाशवाणी हुई कि भगवान विष्णु के अलावा तुम्हारी रक्षा कौन कर सकता है. इस घटना के बाद वसुरथ अपने महल वापस आ गया और सुखपूर्वक शासन करने लगा.

महर्षि वशिष्ठ ने राजा मांधाता को आमलकी एकादशी के महत्व को बताया. उन्होंने कहा कि जो आमलकी एकादशी व्रत रखकर विष्णु पूजा करता है, वह पाप मुक्त हो जाता है. उसके कार्य सफल होते हैं और अंत में उसे मोक्ष मिल जाता है.

आमलकी एकादशी 2025 मुहूर्त और पारण समय
फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि की शुरूआत: 9 मार्च, सुबह 7:45 बजे से
फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि की समाप्ति: 10 मार्च, सुबह 7:44 बजे पर
सर्वार्थ सिद्धि योग: 10 मार्च, सुबह 06:36 बजे से देर रात 12:51 बजे तक
आमलकी एकादशी पूजा मुहूर्त: 10 मार्च, सुबह 06:36 बजे से प्रारंभ
आमलकी एकादशी व्रत पारण समय: 11 मार्च, सुबह 06:35 बजे से 08:13 बजे के बीच
द्वादशी ति​थि की समाप्ति: 11 मार्च, सुबह 08:13 बजे

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