सुल्तानपुर लोधी 3 जनवरी 2025 : हमारे समाज में चिकित्सा उपचार की बढ़ती लागत और सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग तक वितरण के कारण गरीब अस्पतालों में महंगा इलाज नहीं करा पाते हैं, जिससे घरेलू गरीबी व बीमारियों से जड़के हुए गरीब लोगों की इस मजबूरी का लाभ उठाते हैं धागे-तवीत व पूछां देने वाले यह अखौती बाब व तांत्रिक स्वामी व पाखंडी, उनके शारीरिक और धन से सरेआम लूट कर खुद को मौज-मस्ती की जिंदगी गुजारते हैं।
आजकल हमारे समाज में ऐसे तथाकथित बाबाओं और सिर घुमाने वाली माताओं की बाढ़ आ गई है। उनके तथाकथित डेरों पर चौकियां होती हैं, जो सुबह और शाम खुली रहती हैं और इन तांत्रिकों के परिवार वाले और इनके करीबी दोस्त इलाके में जाते हैं, खासकर ग्रामीण महिलाओं का इन बाबाओं की खूब चर्चा करते हैं और झूठी बातें बताते हैं।
एक-दूसरे को देख कर लोग उनके डेरों की ओर बढ़ने लगते हैं, जहां ये तांत्रिक बाबा अपने किसी पीर का नाम जपते हैं। सामने बैठे मरीज की हालत का अंदाजा लगाना, मनगढ़ंत सवाल पूछना, भूत-प्रेत, अंधविश्वास और ऊपरी कसर होने का बहाना बनाते हुए लोगों की शरीकेबाजी की ओर से खिलाए गए तवीतों की जानकारी देते हुए भोले लोगों के दिलों में अपने सगे-संबंधियों के खिलाफ ही नफरत का बीज बीजते हैं।
इस प्रकार लोगों को कशमकश में डालकर उनको इन कसरो-मसरों से छुटकारा करवाने के उपाय करने के पैसा, कालियां मुर्गियां, शराब के खुले गफ्फे व सोने की चैनी, मुंद्रिया बटौरते हैं।
इन डेरों पर आने वाली आम दुखी जनता की भीड़ को देखते हुए पढ़े-लिखे बेरोजगार, कई सरकारी उच्चाधिकारी और कई अच्छे घरों के लोग भी बे-औलाद बच्चा होने की उम्मीद के साथ या अपना अच्छा कारोबार चलता करने के लिए या फिर किसी के खिलाफ भट्ठा बैठाने के मनसूबे दिलों में लिए इन अखौती साधुओं के डेरों पर चौंकियां भरने जाते हैं और कुछ सियासी लोग भी इन डेरों की भीड़ को कैच करने के लिए इन पाखंडी अखौती बाबाओं से वोट बैंक का लाभ लेने के लिए चौंकियां भरते देखे जा सकते हैं। इस धंधे से अधिक संबंध पिछड़े वर्ग के लोगों का ही है।
आज से कुछ समय पहले जिन बेरोजगारों को कोई मजबूरी के लिए दिहाड़ी पर ले जाने के लिए राजी नहीं था, वह आज तरह तरह के नशे का सेवन कर मौज में झूलते रहते हैं। देखते ही देखते अच्छी जायदादों, नई कारों, कोठियों का मालिक बन गए हैं। विशेष तौर पर इस धंधे से अधिक संबंध पिछड़े वर्ग के लोगों का ही है और कुछ देह व्यापार महिलाएं भी इस गौरख धंधे से जुड़ी हुई हैं।
