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लुधियाना नतीजों के बाद जालंधर की सियासत में हलचल, बड़े बदलाव संभव

जालंधर 22 जून 2025 : लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे 23 जून को घोषित किए जाएंगे और इन नतीजों के बाद पंजाब की राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सूत्रों के अनुसार उपचुनाव के परिणाम आने के बाद पंजाब मंत्रिमंडल में फेरबदल की पूरी संभावना है। इस बीच जालंधर जैसे महत्वपूर्ण शहर में भी राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। दरअसल, लुधियाना उपचुनाव के चलते पंजाब और दिल्ली की ‘आप’ यूनिट पूरी तरह व्यस्त रही, जिससे जालंधर या अन्य क्षेत्रों से जुड़ा कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया।

जालंधर में पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में जालंधर की चार सीटों में से दो सीटों पर ‘आप’ उम्मीदवार शीतल अंगुराल और रमन अरोड़ा विजयी हुए थे। हालांकि शीतल अंगुराल पहले ही पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं दूसरे विधायक रमन अरोड़ा अब भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे हुए हैं और फिलहाल नाभा जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी नगर निगम के गिरफ्तार ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ से जोड़कर देखी जा रही है। रमन और वशिष्ठ पर अवैध बिल्डिंगों और कॉलोनियों को लेकर राजनीतिक संरक्षण में वसूली के आरोप लगे थे।

सुखदेव वशिष्ठ की जब गिरफ्तारी हुई उस समय वह वेस्ट हल्के के एटीपी थे और कुछ महीने पहले वे कैंट विधानसभा क्षेत्र में भी तैनात थे। कैंट के कई पार्षदों ने मेयर वनीत धीर को लिखित तौर पर शिकायत दी थी कि सीलिंग की आड़ में बड़ा खेल चल रहा है। फिलहाल विजिलेंस के जालंधर ब्यूरो की कार्यवाही के बाद जालंधर के सेंट्रल, कैंट, वैस्ट और नॉर्थ क्षेत्रों में अवैध बिल्डिंग्स को लेकर उठे आरोप फिलहाल थम चुके हैं। लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व अभी भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है और रमन अरोड़ा के अलावा भी कई ‘आप’ नेता अब पार्टी के निशाने पर हैं।

किसी को मिलेगी पावर, कोई होगा पावरलेस

सूत्रों के मुताबिक, लुधियाना उपचुनाव के परिणाम के बाद जालंधर के कुछ आप नेताओं की ताकत छीनकर उन्हें पावरलेस बनाया जा सकता है, वहीं कुछ नए चेहरों को मजबूत भूमिका दी जा सकती है। इस संबंध में वरिष्ठ ‘आप’ नेता मनीष सिसोदिया पहले ही संकेत दे चुके हैं। अब सबकी निगाहें 23 जून को घोषित होने वाले लुधियाना वैस्ट उपचुनाव के नतीजों पर टिकी हैं। इसके बाद ही साफ होगा कि पंजाब और विशेष रूप से जालंधर की राजनीति में कौन चढ़ेगा ऊंचाई की ओर और किसका राजनीतिक ग्राफ आएगा नीचे।

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