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दिल्ली में युवाओं में बढ़ा ‘ट्रांस ड्रग’ प्रेगाबालिन का नशा

11 अगस्त 2025 : दिल्ली की गलियों और यहां तक कि सरकार द्वारा संचालित जन औषधि केंद्रों में एक चुपचाप लेकिन खतरनाक नशे की लत फैल रही है। यह नशा किसी हार्ड ड्रग जैसे हेरोइन या कोकीन का नहीं है, बल्कि एक पर्चे वाली दवा प्रेगाबालिन (Pregabalin) का है, जिसे लोग अब ‘ट्रांस ड्रग’ कहने लगे हैं।

यह दवा मूल रूप से एंग्जायटी (चिंता), मिर्गी और नसों से जुड़ी दर्द की समस्याओं के इलाज के लिए दी जाती है। लेकिन अब इसका गैर-चिकित्सकीय उपयोग, यानी नशे के लिए इस्तेमाल, राजधानी के युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है।

बिना पर्चे के आसानी से मिल रही है दवा

HT की जांच में सामने आया कि दिल्ली के कई जन औषधि केंद्रों और प्राइवेट फार्मेसियों पर यह दवा बिना किसी डॉक्टर की पर्ची या पहचान पत्र के खुलेआम बेची जा रही है। HT ने दिल्ली के मुनीरका, सीआर पार्क, आलकनंदा, गोविंदपुरी और जाकिर बाग में स्थित पांच जन औषधि केंद्रों से 75mg, 150mg और 300mg की डोज़ की टैबलेट्स बिना किसी सवाल के खरीद लीं। 10 गोलियों की स्ट्रिप महज ₹30 में मिल रही है, जो गरीबों के लिए बनी सरकारी योजना प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) का हिस्सा है।

इसका मतलब है कि सरकार की अपनी दवा वितरण व्यवस्था अब एक नशे की लत का कारण बन रही है।

युवाओं में बढ़ रही लत, धीरे-धीरे पकड़ में आता है असर

एक 28 वर्षीय युवक ने बताया, “मैंने पहले हफ्ते में एक बार इसे नशे के लिए लिया, लेकिन फिर हर दिन लेने लगा। अब ये आदत बन गई है। कभी किसी ने मुझसे पर्चा नहीं मांगा।”

एक 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने कहा, “किसी ने कहा था कि यह शराब जैसा असर देती है लेकिन हैंगओवर नहीं होता। शुरू में तीन गोलियां लीं, फिर धीरे-धीरे एक दिन में दर्जनों गोलियां खाने लगा।” वह अब रीहैब सेंटर से बाहर आ चुका है, लेकिन मानता है कि आसान उपलब्धता ने उसकी लत को बढ़ावा दिया।

एक और 25 वर्षीय युवक ने बताया, “ये दवा धीरे-धीरे आपकी जिंदगी में घुसती है। पहले आत्मविश्वास देती है, फिर सब कुछ छीन लेती है। जब तक आपको समझ आता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।”

फार्मेसियों पर कोई निगरानी नहीं

प्रेगाबालिन एक शेड्यूल H ड्रग है, यानी इसे केवल डॉक्टर की पर्ची पर बेचा जाना चाहिए। लेकिन यह शेड्यूल H1 में नहीं आता, इसलिए इस पर सख्त रिकॉर्ड रखने और निगरानी की कोई बाध्यता नहीं है। पंजाब में, जहां इस दवा को ‘घोड़ा’ कहा जाता है, वहां कुछ जिलों में 150mg और 300mg डोज पर विशेष मंजूरी के बिना बिक्री पर रोक है। लेकिन दिल्ली में ऐसी कोई रोक नहीं है। HT की रिपोर्ट में कुछ फार्मेसियों ने स्वीकार किया कि वे ‘भरोसेमंद ग्राहकों’ को बिना पर्चे के यह दवा बेचते हैं। एक फार्मासिस्ट ने कहा, “अगर ग्राहक कोई हंगामा नहीं करता, तो हम बेच देते हैं। यह तो सब करते हैं।”

नशा मुक्ति केंद्रों में बढ़ रहे केस

दिल्ली के नशा मुक्ति केंद्रों में अब बड़ी संख्या में 16 से 35 साल के युवा प्रेगाबालिन की लत के इलाज के लिए भर्ती हो रहे हैं।

कानूनी खामियां और सरकार की सुस्ती

प्रेगाबालिन NDPS (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस) एक्ट के तहत नहीं आता, इसलिए इसके पास रखने या बेचने पर कोई कड़ी सजा नहीं है। 2023 में पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार को खत लिखकर इसे शेड्यूल H1 में शामिल करने की मांग की थी। लेकिन अब तक केंद्र की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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