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बीएफयूएचएस और आईएमए–एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशल्टीज़ के बीच फेलोशिप और स्पेशलिटी ट्रेनिंग कार्यक्रमों के लिए ऐतिहासिक एडेंडम पर हस्ताक्षर

फरीदकोट 18 दिसंबर 2025 : बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज़ (BFUHS), फरीदकोट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन–एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशल्टीज़ (IMA-AMS) के बीच मौजूदा समझौता ज्ञापन (MoU) को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण एडेंडम पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह कदम स्वास्थ्य क्षेत्र में फेलोशिप, स्पेशल्टी और स्किल-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

यह एडेंडम 04 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ में हुई बैठक के बाद तैयार किया गया, जिसमें प्रो. (डॉ.) राजीव सूद, वाइस-चांसलर, BFUHS और डॉ. रमणीक बेदी, चेयरमैन, IMA-AMS शामिल थे। IMA की राष्ट्रीय नेतृत्व टीम ने टेलीफोनिक रूप से भाग लिया। यह एडेंडम 11 जून 2024 को हुए मूल MoU का विस्तार है और इसका मुख्य उद्देश्य यूजीसी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिए फेलोशिप और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अकादमिक मान्यता और नियमन सुनिश्चित करना है।

एडेंडम के तहत, IMA-AMS द्वारा संचालित मौजूदा पाठ्यक्रमों को औपचारिक फेलोशिप कार्यक्रमों में अपग्रेड किया जाएगा, जिनकी अकादमिक निगरानी BFUHS और IMA-AMS संयुक्त रूप से करेंगे। सभी नए कार्यक्रमों के लिए BFUHS से अनुमोदन और संबद्धता अनिवार्य होगी। छोटे और मध्यम स्वास्थ्य संस्थानों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तार्किक शुल्क संरचना तय की जाएगी। भौतिक या हाइब्रिड मोड में संचालित होने वाले कार्यक्रम NEP के नियमों के अनुरूप होंगे।

प्रो. (डॉ.) राजीव सूद, वाइस-चांसलर, BFUHS ने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार देश स्तर पर मेडिकल शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के लिए सहयोग बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले BFUHS ने IMA के साथ स्किल ट्रेनिंग के लिए MoU किया, इसके बाद पंजाब मेडिकल एसोसिएशन और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के साथ भी समझौते किए गए, जिनके तहत 13 विभिन्न मेडिकल स्पेशल्टीज़ के डॉक्टरों ने BFUHS में अकादमिक कार्यक्रमों में भाग लिया।

उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर 2025 को दिल्ली में हुआ समझौता मेडिकल इतिहास में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इस अवसर पर IMA की शीर्ष राष्ट्रीय नेतृत्व टीम और लोकसभा व राज्यसभा के लगभग 100 सांसद उपस्थित थे, और वे BFUHS का प्रतिनिधित्व वाइस-चांसलर के रूप में कर रहे थे। इस सहयोग से स्किल, शिक्षा और अकादमिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा और संयुक्त कार्यक्रमों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होगी।

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