अमृतसर 14 दिसंबर 2025 : पंजाब के अमृतसर जिले के एक गांव में ब्लॉक समिति के चुनाव रद्द किए जाने के बाद भारी हंगामा देखने को मिला। चुनाव रद्द होने की सूचना मिलते ही गांव में तनाव का माहौल बन गया और ग्रामीणों ने फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और पुलिस को मौके पर तैनात किया गया, ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, संबंधित गांव में ब्लॉक समिति सदस्य के चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी और मतगणना की तैयारी चल रही थी। इसी दौरान चुनाव अधिकारियों ने कुछ गंभीर अनियमितताओं का हवाला देते हुए चुनाव रद्द करने का निर्णय लिया। अधिकारियों का कहना है कि मतदान प्रक्रिया के दौरान नियमों के उल्लंघन और शिकायतें सामने आई थीं, जिनकी जांच के बाद यह कदम उठाया गया।
चुनाव रद्द होने की खबर फैलते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई। कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चुनाव को जानबूझकर रद्द किया गया है और यह फैसला लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। गुस्साए ग्रामीणों ने गांव के प्रमुख रास्तों पर एकत्र होकर नारेबाजी की और प्रशासन के खिलाफ रोष जताया।
स्थिति बिगड़ते देख स्थानीय पुलिस ने अतिरिक्त बल बुला लिया। गांव के संवेदनशील इलाकों में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं, लेकिन किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पूरी तैयारी की गई है।
ग्रामीणों के अनुसार, मतदान के दिन किसी बड़े विवाद की स्थिति नहीं बनी थी। उनका कहना है कि मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ था और अचानक चुनाव रद्द करने का फैसला समझ से परे है। कई लोगों ने मांग की कि चुनाव परिणाम घोषित किए जाएं या फिर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
वहीं, चुनाव अधिकारियों का पक्ष है कि मतदान के दौरान कुछ शिकायतें मिली थीं, जिनमें फर्जी वोटिंग और मतदान प्रक्रिया में हस्तक्षेप के आरोप शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है और यदि नियमों का उल्लंघन होता है, तो चुनाव रद्द करना जरूरी हो जाता है।
राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। कुछ दलों ने प्रशासन के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यदि अनियमितताएं पाई गई हैं, तो चुनाव रद्द करना सही कदम है। वहीं, कुछ अन्य दलों ने इसे राजनीतिक दबाव का नतीजा बताते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
गांव के बुजुर्गों और सामाजिक संगठनों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। उनका कहना है कि लोकतंत्र में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन हिंसा या अव्यवस्था किसी समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने प्रशासन से भी पारदर्शिता बनाए रखने और ग्रामीणों को स्थिति की स्पष्ट जानकारी देने का आग्रह किया है।
प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि गांव में जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी। चुनाव रद्द करने के फैसले के खिलाफ यदि कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो उसकी सुनवाई नियमों के अनुसार की जाएगी। साथ ही, यह भी संकेत दिए गए हैं कि जांच पूरी होने के बाद दोबारा चुनाव की तारीख घोषित की जा सकती है।
इस घटना ने एक बार फिर स्थानीय निकाय चुनावों में पारदर्शिता और भरोसे के महत्व को रेखांकित किया है। ग्रामीणों का कहना है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखते हैं, लेकिन प्रशासन से निष्पक्षता और स्पष्टता की उम्मीद करते हैं।
सारांश
अमृतसर के एक गांव में ब्लॉक समिति चुनाव अनियमितताओं के आरोपों के चलते रद्द कर दिए गए। फैसले के बाद ग्रामीणों ने विरोध किया, पुलिस तैनात कर हालात काबू में रखे गए।
