मुंबई 12 दिसंबर 2025 : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शद पवार आज 85 वर्ष के हो गए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके पवार आज भी राज्य की राजनीति के केंद्र में माने जाते हैं। अपने राजनीतिक कौशल और संकट प्रबंधन के लिए उन्हें अक्सर राजनीति का ‘चाणक्य’ कहा जाता है।
पिछले सात-आठ वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति में हुए कई घटनाक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि शरद पवार संकटों को अवसर में बदलने और विरोधियों को चकमा देने में माहिर हैं। 2019 की नाटकीय सत्ता स्थापना से लेकर 2024 के लोकसभा चुनावों तक उनकी पांच प्रमुख रणनीतियाँ निम्न हैं:
1. गूढ़ता
पवार अक्सर अपने राजनीतिक विरोधियों को गुमराह करने के लिए संदेहपूर्ण बयान देते हैं या कुछ समय के लिए शांत रहते हैं। 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद जब शिवसेना और भाजपा की गठबंधन टूट गई, पवार ने एक साथ शिवसेना और कांग्रेस से वार्ता की। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की, जिससे विरोधी दलों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई और पवार को महाविकास आघाड़ी के लिए समय मिला।
2. संकट में अवसर तलाशना
विरोधियों के हमलों का फायदा उठाकर वे जनता में सहानुभूति पैदा करने में माहिर हैं। 2019 में ED ने पवार का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में लिया। इससे पहले पवार ने स्वयं ED ऑफिस जाने की घोषणा कर दी, जिससे हजारों समर्थक उनके समर्थन में जुटे और पार्टी ने विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया।
3. आघाड़ी के शिल्पकार
पवार के पास राजनीतिक लचीलापन और सभी पक्षों के साथ संबंधों का जाल है। उन्होंने 2019 में भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूटने के बाद तीन अलग विचारधारा वाले दलों—शिवसेना, कांग्रेस और NCP—को एक समान न्यूनतम कार्यक्रम पर ला कर महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाई।
4. धैर्य और सही समय का इंतजार
छह दशक की राजनीतिक यात्रा में पवार कई संकटों से गुजरे। 2023 में अजित पवार द्वारा पार्टी तोड़े जाने के बाद भी उन्होंने तुरंत आक्रामक भूमिका नहीं अपनाई। शांत रहते हुए कार्यकर्ताओं को एकत्र किया और राज्यभर दौरे किए। इससे उन्होंने पार्टी संकट को जनसंपर्क अभियान में बदल दिया।
5. जनभावना तैयार करना
पवार हर चुनावी हार या पार्टी में फूट को व्यक्तिगत चुनौती मानते हैं और इसे पुनरुत्थान का अवसर बनाते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भी जब पार्टी में फूट और चिन्ह खो गया, उन्होंने स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर प्रचार किया और NCP ने चुनाव में दमदार प्रदर्शन किया।
