पुणे 19 नवंबर 2025 : राज्य में भले ही महायुती सरकार में तीनों दल—भाजपा, अजित पवार की राकांपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना—एक साथ हों, लेकिन स्थानीय स्वराज्य चुनावों में इन दलों के बीच जबरदस्त टकराव बढ़ता जा रहा है। कई जगहों पर तीनों दल सीधे आमने-सामने लड़ रहे हैं और एक-दूसरे के नेताओं को तोड़ने की होड़ भी तेज हो गई है। शिवसेना और भाजपा के बीच पहले से ही खींचतान चल रही थी, अब पुणे जिले में अजित पवार ने शिंदे गट के सीधे नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवार को ही अपने पाले में कर नवां विवाद खड़ा कर दिया है।
भोर नगरपालिकेत संघर्ष चरम पर
पुणे जिले के भोर में इस बार चुनाव बेहद चर्चा में है। पहले यहां भाजपा का प्रभाव कम था, लेकिन पूर्व विधायक संग्राम थोपटे के भाजपा में आने के बाद पार्टी की पकड़ मजबूत हुई। दूसरी ओर, राकांपा ने वर्षों से थोपटे को चुनौती देते हुए अपनी पकड़ कायम रखी है। इसी कारण भोर नगरपालिका चुनाव में भाजपा के थोपटे और राकांपा के अजित पवार गुट के बीच सीधी टक्कर है।
उधर, शिंदे की शिवसेना भी मैदान में उतर आई थी और कई जगह आक्रामक रुख अपनाया था। लेकिन वोटिंग से पहले ही शिंदे गट को बड़ा झटका लगा। शिवसेना के नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवार नितिन सोनवले अचानक राकांपा में शामिल हो गए। राकांपा विधायक शंकर मांडेकर की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी में प्रवेश किया। अब वे शिवसेना से भरा अपना नामांकन वापस लेने वाले हैं और राकांपा के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे।
शिवसेना को बड़ा झटका
नितिन सोनवले के शिंदे गट छोड़ते ही शिवसेना की भोर में समीकरण पूरी तरह बिगड़ गए। इससे शिवसेना की ताकत कमजोर हुई और मुकाबला लगभग द्विपक्षीय—भाजपा बनाम राकांपा—हो गया है।
भाजपा का वर्चस्व बढ़ने के बीच राकांपा का यह कदम सीधे-सीधे भाजपा को रोकने की रणनीति माना जा रहा है।
महायुती में आंतरिक युद्ध
इस घटनाक्रम से साफ है कि महायुती दलों के बीच स्थानीय स्तर पर संघर्ष चरम पर है।
भोर में भाजपा, शिवसेना और राकांपा के बीच चल रही फूट अब खुले संघर्ष में बदल गई है और राज्यभर में इसकी राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है।
अब देखना होगा कि महायुती के इस बढ़ते अंतर्गत संघर्ष का अगला चरण क्या रूप लेता है।
