16 नवंबर 2025: महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई इलाके में एक निजी स्कूल में छठी कक्षा की छात्रा की मौत ने एक बार फिर स्कूलों में शारीरिक दंड के तरीकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मामला सातिवली स्थित स्कूल का है, जहां कथित रूप से देर से आने की सजा के तौर पर छात्रा अंशिका को 100 उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया गया था. कुछ दिन बाद ही अंशिका की मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो गई.
घटना के सामने आने के बाद अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं के अनुसार, अंशिका और चार अन्य छात्रों को आठ नवंबर को स्कूल देर से पहुंचने के कारण 100-100 बार उठक-बैठक करनी पड़ी थी.
स्कूल में शिक्षिका की वजह से हुई बेटी की मौत
अंशिका की मां ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की मौत उसकी शिक्षिका द्वारा दी गई ‘अमानवीय सजा’ का परिणाम है. उन्होंने कहा कि शिक्षक ने अंशिका को स्कूल बैग पीठ पर रखकर उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी बेटी पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रही थी, बावजूद इसके उसे सजा दी गई.
अंशिका के मौत मामले की पूरी तरह की जाएगी जांच- पांडुरंग गलांगे
वसई के मनसे नेता सचिन मोरे ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर मामला है और इसे तत्काल जांच की आवश्यकता है. स्कूल की एक शिक्षिका ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अंशिका ने कितनी उठक-बैठक की और उसकी मौत इसी वजह से हुई या किसी अन्य कारण से. खंड शिक्षा अधिकारी पांडुरंग गलांगे ने कहा कि अंशिका की मौत की पूरी जांच की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि जांच से ही मौत का असली कारण पता चलेगा. फिलहाल इस मामले में कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है.
छात्रा की मां का आरोप, सजा के बाद बिगड़ी तबियत
मीडिया से बात करते हुए अंशिका की मां ने कहा कि सजा के बाद उनकी बेटी की स्वास्थ्य स्थिति तेजी से बिगड़ गई थी. उन्हें गर्दन और पीठ में तेज दर्द होने लगा और वह उठ भी नहीं पा रही थीं. उन्होंने स्कूल जाकर शिक्षक से शिकायत की, लेकिन शिक्षक ने बताया कि छात्रों को देर से आने पर दंडित किया गया था.
अंशिका की मां ने स्पष्ट किया कि बच्चों को सजा देने का मतलब यह नहीं कि उन्हें पीठ पर बैग रखकर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाए. उनका कहना है कि इस अमानवीय सजा ने उनकी बेटी की जान ले ली.
अधिकारियों का कहना है कि मामले की पूरी तहकीकात की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस घटना ने स्कूलों में शारीरिक दंड देने की प्रथाओं पर नए सिरे से बहस शुरू कर दी है.
