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दिल्ली ब्लास्ट खुलासा: PM मोदी तक था आतंकियों का निशाना, दहशतगर्द डॉक्टरों की साज़िश नाकाम

14 नवंबर 2025 : राजधानी दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके की जांच अब एक बड़े आतंकी नेटवर्क तक पहुंच गई है। जांच में अब तक देशभर से 2,900 किलो से ज्यादा विस्फोटक बरामद हो चुके हैं। डॉक्टरों की गिरफ्तारी से यह भी सामने आया कि यह मामला ‘व्हाइट कॉलर आतंकवाद’ का है, जिसमें उच्च शिक्षा और पेशेवर लोग भी शामिल थे। जांच में पता चला है कि इस मॉड्यूल ने 4 बड़े शहरों में 8 अलग-अलग धमाकों की योजना बनाई थी। इन धमाकों का उद्देश्य 25 नवंबर और 6 दिसंबर को देशभर में डर फैलाना था। विशेष रूप से 25 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को निशाना बनाने की साजिश थी। वहीं, 6 दिसंबर को दिल्ली में भी आतंकवादी हमला करने की योजना थी।

मुख्य आरोपी और उसके साथी
जम्मू-कश्मीर पुलिस और जांच एजेंसियों के मुताबिक, उमर नबी इस मामले का मुख्य आरोपी है। उमर को आत्मघाती हमलावर बताया जा रहा है। 30 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच उसने क्या किया और किन लोगों से संपर्क किया, इसकी जांच अभी चल रही है। इसी समय उसके साथी डॉ. मुजम्मिल को गिरफ्तार किया गया। मुजम्मिल के नाम से उसके और एक साथी डॉ. आदिल का भी खुलासा हुआ। जांच में यह सामने आया कि उमर और उसके ग्रुप ने सिर्फ 10 दिनों में लाल किले धमाके के लिए कार में हाई ग्रेड विस्फोटक भर दिया। एजेंसियों को शक था कि उन्हें इस तैयारी में कुछ बाहरी मदद मिली।

विदेशी लिंक और डिजिटल साजिश
जांच में पता चला है कि यह साजिश 2022 में विदेश से शुरू हुई थी। विदेशी हैंडलर उकासा ने उमर और मुजम्मिल को निर्देश दिए। शुरुआत में वे टेलीग्राम ऐप के जरिए बातचीत कर रहे थे, बाद में अधिक सुरक्षित माने जाने वाले सिग्नल और सेशन ऐप का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, लाल किले की कई बार रेकी भी की गई थी। पुराने वाहन और विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल हथियार के रूप में करने की योजना थी।

एजेंसियों की सतर्कता से साजिश फेल
जांच अधिकारियों ने बताया कि एजेंसियों की सतर्कता के कारण यह बड़ा आतंकी हमला समय रहते फेल हो गया। उमर और मुजम्मिल विदेश से निर्देश लेकर काम कर रहे थे और उनका मकसद देश में भय फैलाना था। सभी मुख्य आरोपी पकड़ लिए गए हैं और उनसे पूछताछ जारी है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस नेटवर्क से और कौन जुड़े हुए थे और किस तरह के अन्य हथियार और विस्फोटक योजना में इस्तेमाल किए जा सकते थे।

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