पटना 14 नवंबर 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है और शुरुआती रुझानों में बीजेपी–जेडीयू गठबंधन की एनडीए सरकार बहुमत के आंकड़े से आगे निकलती दिखाई दे रही है। वहीं यादव परिवार की राजद ने जो शुरुआती बढ़त ली थी, वह अब पिछड़ने में बदल गई है। कांग्रेस के ‘हाथ’ से मिली कमज़ोर मदद के कारण महागठबंधन इस बार कांटे की टक्कर भी नहीं दे पाई। एनडीए की बढ़त में महिला मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी महिलाओं का समर्थन सत्ता पक्ष के पक्ष में जाता दिख रहा है।
महिला मतदाताओं का रुझान
चुनाव के दूसरे चरण में करीब 70% मतदान हुआ, जो बिहार के इतिहास में सबसे ज़्यादा है। 2020 की तुलना में इस बार 8–9% ज्यादा मतदान दर्ज किया गया। पहले और दूसरे चरण में क्रमशः 71.6% और 74.03% महिलाओं ने वोट किया था, और उनका रुझान सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में दिखाई दे रहा है।
‘लाडकी बहन’ योजना का असर
महाराष्ट्र में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी महिला वोटरों ने महायुती को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। जुलाई 2023 में शुरू हुई ‘लाडकी बहन’ योजना के तहत महिलाओं को हर महीने डेढ़ हज़ार रुपये मिलते थे, जिससे उन्होंने सरकार के समर्थन में भारी मतदान किया था।
बिहार में भी इसी तरह, महाराष्ट्र की योजना से प्रेरित होकर, महिलाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री रोजगार योजना’ के तहत हर परिवार को हर महीने 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। दो करोड़ परिवारों को 125 यूनिट मुफ्त बिजली, बेरोज़गारों को आर्थिक मदद, सरकारी नौकरियों में स्थानीय महिलाओं को प्राथमिकता — ऐसी कई योजनाओं का सकारात्मक असर एनडीए गठबंधन के नेताओं ने दावा किया है।
दरअसल, यह “महाराष्ट्र–बिहार पैटर्न” सबसे पहले मध्य प्रदेश से शुरू हुआ था। शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना की सफलता को ध्यान में रखते हुए, पहले महाराष्ट्र और अब बिहार ने भी वही मॉडल अपनाया, जिससे सत्ता बरकरार रखने में बड़ी मदद मिल रही है।
