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पुणे में आरक्षण के बाद बदले राजनीतिक समीकरण, नगरसेवकों के सामने दो ही विकल्प

पुणे/पिंपरी, 12 नवंबर 2025 : पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम क्षेत्रों के 41 वार्डों के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षण की लॉटरी मंगलवार को निकाली गई। इस लॉटरी ने कई मौजूदा नगरसेवकों के राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। अब कई नेताओं को अपने परिवार के सदस्यों को उम्मीदवार बनाने या खुले वर्ग (Open Category) से चुनाव लड़ने पर विचार करना पड़ सकता है। कुछ वार्डों में बड़े नेता एक-दूसरे के आमने-सामने आने की संभावना भी जताई जा रही है।

पुणे नगर निगम में कुल 165 सीटें हैं, जिनमें से 83 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। इनमें अनुसूचित जाति के लिए 22, अनुसूचित जनजाति के लिए 2 और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 44 सीटें आरक्षित हैं। वहीं, खुले वर्ग की 97 सीटों में से 49 सीटें महिलाओं के लिए तय की गई हैं। इस आरक्षण व्यवस्था के चलते कई नगरसेवकों के वार्डों की श्रेणी बदल गई है, जिससे उन्हें नई राजनीतिक रणनीति बनानी पड़ेगी।

इसी तरह, पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम की आरक्षण लॉटरी भी मंगलवार को हुई। विभागीय आयुक्त डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार की अध्यक्षता में आयोजित इस प्रक्रिया में संभावित चुनावी तस्वीर साफ हो गई है और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस दौरान महापालिका के अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभळे पाटील, तृप्ति सांडभोर, मुख्य अभियंता प्रमोद ओभासे और सह आयुक्त मनोज लोणकर मौजूद थे।

जानकारी के अनुसार, आरक्षण से राजनीतिक अड़चन न आए इसके लिए कई नेताओं ने पहले ही “कुणबी प्रमाणपत्र” बनवा लिए हैं। दापोडी, फुगेवाड़ी और कासारवाड़ी (वार्ड क्रमांक 30) जैसे इलाकों में अब सामान्य वर्ग के लिए एक भी सीट नहीं बची है। वहां क्रमशः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति महिला, पिछड़ा वर्ग और सामान्य महिला के लिए आरक्षण तय किया गया है।

शहर के पिंपरी, चिंचवड़ और भोसरी विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक वार्ड अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया है। राज्य में महायुती, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विभाजन के बाद बदले राजनीतिक माहौल में पूर्व नगरसेवकों को टिकट देना दलों के लिए चुनौती बन गया है। कई नेताओं — जिनमें शहराध्यक्ष, स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सभागृह नेता शामिल हैं — का रास्ता तो साफ हुआ है, लेकिन कई पुराने चेहरों की राजनीतिक गणित अब बिगड़ चुकी है।

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