जालंधर 08 नवंबर 2025 : शहर की प्रमुख सड़कों में शुमार महावीर मार्ग इन दिनों अपने सबसे खराब हालातों से गुजर रहा है। करीब दो अढ़ाई किलोमीटर सड़क जगह-जगह से उखड़ चुकी है, जिससे यहां दिनभर धूल उड़ती रहती है और गड्ढों के बीच वाहनों की कतारें लगी रहती हैं। हालत यह है कि अंबेडकर चौक से लेकर कपूरथला चौक तक का इलाका आए दिन जाम की चपेट में रहता है, और इस सबसे ज़्यादा परेशानी उन एंबुलेंसों को उठानी पड़ रही है जो मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने की दौड़ में होती हैं।
महावीर मार्ग पर दर्जनों बड़े-छोटे अस्पताल, क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर स्थित हैं। सैकड़ों मरीज रोजाना इलाज के लिए यहां आते-जाते हैं, लेकिन सड़क की दुर्दशा ने उनका सफर दुश्वार कर दिया है। टूटी सड़कों, मिट्टी और गढ्ढों के कारण वाहनों की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है। कई बार एंबुलेंसें मरीजों को लेकर जाम में फंस जाती हैं, जिससे समय पर इलाज न मिल पाने का खतरा बढ़ जाता है।
इलाके के डॉक्टरों और अस्पताल संचालकों ने बताया कि पिछले करीब 5-6 महीने से सड़क की कोई मुरम्मत न होने से लगातार मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। कई बार ऑपरेशन के लिए बुलाए गए मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। वहीं, एंबुलैंस ड्राइवरों का कहना है कि महावीर मार्ग विशेषकर कपूरथला चौक पर रोजाना घंटों जाम रहता है, जिससे आपातकालीन सेवाओं पर सीधा असर पड़ रहा है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के तहत इस मार्ग की सड़क को महीनों पहले खोदा गया था, लेकिन आज तक इसे ठीक नहीं किया गया। पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़क को अस्थायी तौर पर भर दिया गया, परंतु जगह-जगह गड्ढे और बिखरी हुई बजरी के कारण यह मार्ग किसी खतरे से कम नहीं रहा।
गौरतलब है कि इस प्रोजैक्ट की ज़िम्मेदारी एल. एंड टी. कंपनी के पास है जबकि नोडल एजेंसी के रूप में सीवरेज बोर्ड और नगर निगम निगरानी कर रहे हैं। लेकिन इन सभी विभागों की लापरवाही के चलते सड़क का हाल बेहाल हो गया है। पाइपलाइन बिछाने के बाद न तो रेनवाटर सिस्टम ठीक किया गया और न ही सीवर चैंबरों की मरम्मत की गई।
तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक नई सड़क बनाने से पहले सीवर और रेनवाटर के चैंबरों को पूरी तरह से दुरुस्त नहीं किया जाएगा, तब तक यह सड़क टिक नहीं पाएगी। यदि जल्दबाज़ी में केवल लुक बजरी डाल दी गई, तो यह सड़क एक बरसात भी नहीं झेल पाएगी।
उधर, नगर निगम और सीवरेज बोर्ड के अधिकारियों के बीच यह चर्चा चल रही है कि पहले पुराने चैंबरों और पाइपलाइन को नए सिरे से बनाया जाए, ताकि आगे पानी निकासी की समस्या न रहे। मगर इस प्रक्रिया में कई सप्ताह का समय लग सकता है। इंजीनियरों का मानना है कि यदि दिसंबर में सर्दी बढ़ने से पहले सड़क निर्माण शुरू नहीं हुआ, तो ठंड के मौसम में तकनीकी रूप से लुक बजरी डालना संभव नहीं होगा।
इस बीच, आम नागरिकों की परेशानी लगातार बढ़ रही है। मरीजों के साथ-साथ आम वाहन चालकों को भी रोजाना घंटों ट्रैफिक में फंसे रहना पड़ता है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि महावीर मार्ग की सड़क को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जाए और अस्पतालों के आसपास के हिस्सों को पहले ठीक किया जाए, ताकि मरीजों को राहत मिल सके।
महावीर मार्ग आज शहर की लाइफ लाइन से ज्यादा एक दर्द बन चुका है और इस दर्द को सबसे पहले महसूस कर रहे हैं वे मरीज, जो हर दिन इलाज की उम्मीद में यहां पहुंचते हैं, लेकिन सड़क की बदहाली और जाम में फंसकर परेशानी का शिकार बन जाते हैं।
