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रायगढ़ का पुल बना खतरा, प्रशासन की लापरवाही या मौत का जाल?

रायगढ़ 05 नवंबर 2025 : कर्जत तालुका के एक गांव के पास उल्हास नदी पर बना पुल अब मौत के दरवाजे पर खड़ा है। करीब 40 साल पहले जिला परिषद निर्माण विभाग द्वारा बनाया गया यह पुल अब जर्जर हालत में है। पुल के खंभों की लोहे की सरिए बाहर निकल आई हैं, कंक्रीट टूट चुका है और नींव कमजोर हो गई है।

हर दिन सैकड़ों लोग इस पुल से गुजरते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं। इस पुल से बीड बु., मोहिली, मुगपे और चोची गांवों का संपर्क होता है। अगर पुल गिर गया, तो इन चार गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट जाएगा।

स्थानीय नागरिकों ने कई बार पुल की मरम्मत की मांग की, लेकिन निर्माण विभाग और लोकनिर्माण विभाग ने सिर्फ फाइलें आगे बढ़ाने तक ही अपनी जिम्मेदारी निभाई। पिछले पांच सालों में की गई ‘मरम्मत’ सिर्फ रंग-रोगन तक सीमित रही।

बाढ़ के बाद पुल की लोहे की रेलिंग बह गई और सड़क की सतह धंस गई, मगर अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। भारी ट्रक और टेम्पो की लगातार आवाजाही से पुल पर भार और बढ़ गया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि “कभी भी यह पुल गिर सकता है।” एक ग्रामीण ने बताया, “हर दिन बच्चों को स्कूल भेजते वक्त डर लगता है। अगर पुल बंद हो गया तो दूसरा रास्ता 15 किलोमीटर लंबा है, इसलिए जान जोखिम में डालकर ही यात्रा करनी पड़ती है।”

अब तक जिला प्रशासन ने पुल की कोई जांच नहीं की है। पुल के जर्जर होने की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई न होने से लोगों में गुस्सा है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और लोकनिर्माण विभाग को पत्र लिखकर “सदोष मानव वध के आरोप में मामला दर्ज करने” की मांग की है।

मोहिली पुल अब केवल एक गांव का नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही का प्रतीक बन गया है। यह घटना दिखाती है कि सड़कें, पुल और बुनियादी सुविधाएं अब सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित रह गई हैं।

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