पुणे 24 अक्टूबर 2025 : उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता और पूर्व विधायक रवींद्र ढंगेकर ने कुछ दिनों से भाजपा नेता और केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोळ के खिलाफ आरोपों की बौछार की है। शिंदे ने धैर्य रखने और पार्टी स्तर पर कार्रवाई की चर्चा करने के बावजूद ढंगेकर अपनी कार्रवाई रोकने के मूड में नहीं दिखे। अब उन्होंने मुरलीधर मोहोळ पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि पुणे के महापौर रहते हुए उन्होंने जिस इनोवा कार का उपयोग किया, वह किसी बिल्डर की थी।
ढंगेकर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि, “पुणे के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोळ का जैन होस्टल खरीद प्रकरण में योगदान कई सबूतों के माध्यम से सामने आया है। फिर भी वे इसे केवल संयोग मानते हैं। मैं आपको कुछ जानकारी देना चाहता हूं। मोहोळ सांसद बनने से पहले पुणे महापौर थे। महापौर रहते हुए वे पुणे महानगरपालिका की आधिकारिक बोर्डिंग के तहत सफेद रंग की इनोवा क्रिस्टा कार का उपयोग करते थे। उस कार का नंबर MH 12 SW 0909 था। यह न तो मोहोळ की थी और न ही पुणे महानगरपालिका का वाहन। यह कोथरूड के बढेकर बिल्डर की कार थी। वही बिल्डर जिन्होंने जैन होस्टल खरीदने के लिए दूसरी नीलामी लगाई थी और मोहोळ उनके पार्टनर रहे हैं।”
ढंगेकर ने सवाल उठाए:
रवींद्र ढंगेकर ने महापौर पद पर रहते हुए निजी वाहन के उपयोग को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, “महापौर पद संविधानिक पद है। ऐसे पद पर रहते हुए किसी निजी व्यवसायी की कार का उपयोग करना क्या नैतिक है? 9,500 करोड़ रुपये के बजट वाली महापालिका अपने महापौर के लिए साधारण वाहन क्यों नहीं खरीद सकती थी? इस बिल्डर की कार का उपयोग करते हुए महापौर पद का लाभ कितने प्रोजेक्टों में दिया गया, खासकर कोथरूड इलाके में सोसायटी पुनर्विकास परियोजनाओं में बढेकर बिल्डर को लाभ हुआ। वेताळ टेकडी, HCMTR रोड और बालभारती से पौड फाटा लिंक रोड जैसे प्रोजेक्ट में उन्होंने हजारों पर्यावरणवादियों का विरोध झेला। क्या यह सभी प्रयास सिर्फ ट्रैफिक सुविधा के लिए थे? नहीं। यह बिल्डरों की जमीन पर परियोजनाएं कराने के लिए किया गया।”
मुरलीधर मोहोळ का जवाब:
इस पर मुरलीधर मोहोळ ने पत्रकार परिषद में आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है और ढंगेकर समेत अन्य नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप राजनीतिक उद्देश्यों से किए गए हैं।
रवींद्र ढंगेकर ने कहा कि पुणे शहर के विकास में कई महापौरों का योगदान रहा है, लेकिन मुरलीधर मोहोळ के कार्यकाल में महापालिका की प्रणाली भ्रष्ट और विकृत रही। किसी भी काम के लिए पहले केवल एक साल के टेंडर दिए जाते थे, लेकिन उनके कार्यकाल में 5/10/15/20 साल के टेंडर दिए गए, जिससे महापालिका की स्थिति बिगड़ी। उन्होंने मांग की कि जैन बोर्डिंग प्रकरण में लेन-देन रद्द किया जाए और जमीन लूटने वाले सभी पर मामला दर्ज किया जाए।
