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दिल्ली में हवा की हालत खराब, स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा

23 अक्टूबर 2025 : दिल्ली की हवा अब सिर्फ धूल और धुएं से भरी नहीं रही, बल्कि लोगों की उम्र निगलने लगी है। शिकागो विश्वविद्यालय की एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। यहां का PM 2.5 स्तर WHO के मानक से 20 गुना ज्यादा है। रिपोर्ट की मानें तो अगर हालात नहीं बदले, तो दिल्लीवासियों की औसत उम्र 8.2 साल तक घट सकती है।

दिल्ली में हवा नहीं, ज़हर बह रहा है

एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC), शिकागो की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दिल्ली में PM 2.5 का औसत स्तर 111.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जबकि WHO का मानक सिर्फ 5 माइक्रोग्राम है- यानी 22 गुना अधिक जहरीली हवा। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक घुसकर सांस की बीमारियां, दिल के रोग और कैंसर जैसी घातक बीमारियां पैदा कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों का धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण स्थलों की धूल, और पराली जलाना इस प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।

दिल्ली-हरियाणा-पंजाब-यूपी बने ज़हरीले ज़ोन

AQLI रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश दुनिया के सबसे प्रदूषित इलाकों में शामिल हैं।
करीब 60 करोड़ लोग इस प्रदूषण की चपेट में हैं।

  • दिल्ली में औसत उम्र 8.2 साल घट रही है,
  • बिहार में 5.4 साल,
  • हरियाणा में 5.3 साल, और
  • यूपी में 5 साल तक।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर WHO मानकों के मुताबिक प्रदूषण घटाया जाए, तो हर भारतीय की उम्र औसतन 3.5 साल बढ़ सकती है।

दक्षिण एशिया पर मंडराता खतरा

भारत ही नहीं, इसके पड़ोसी देश भी वायु प्रदूषण की मार झेल रहे हैं।

  • बांग्लादेश सबसे ऊपर है, जहां हर व्यक्ति की उम्र औसतन 5.47 साल घट रही है।
  • भारत दूसरे स्थान पर है (3.53 साल की कमी)।
  • पाकिस्तान और नेपाल तीसरे और चौथे स्थान पर हैं।

2023 में फिर बढ़ा प्रदूषण स्तर

EPIC-इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2002 के बाद एक समय प्रदूषण में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन 2023 में स्तर फिर तेजी से बढ़ा। देशभर में PM 2.5 का औसत स्तर 41 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुआ, जो WHO के मानक से 8 गुना ज्यादा है। उत्तर भारत के मैदानों में रहने वाले 54 करोड़ लोगों की उम्र 5 साल तक बढ़ सकती है, अगर हवा साफ हो जाए।

अगर हवा हुई साफ, तो बढ़ जाएगी ज़िंदगी

अगर PM 2.5 का स्तर WHO के 5 माइक्रोग्राम मानक तक पहुंचाया जाए, तो दिल्लीवासियों की औसत उम्र 8.2 साल तक बढ़ सकती है। देश की 46% आबादी ऐसे इलाकों में रहती है, जहां PM 2.5 स्तर 40 से ज्यादा है। सिर्फ इन जगहों पर प्रदूषण घटाने से ही लोगों की औसत उम्र 1.5 साल तक बढ़ सकती है।

‘क्लीन एयर मिशन’ से मिली थोड़ी राहत

केंद्र सरकार ने 2019 में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) शुरू किया था, जिसका लक्ष्य था 2024 तक प्रदूषण को 20-30% तक घटाना। रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इस मिशन से 44 करोड़ लोगों की औसत उम्र 6 महीने तक बढ़ी है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सुधार पर्याप्त नहीं है- प्रदूषण नियंत्रण पर सख्ती और तकनीकी नवाचार की जरूरत है।

दिल्ली की हवा में आखिर घुलता ज़हर कहां से आता है?

हर सर्दी में दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है- सांस लेना मुश्किल, आंखों में जलन, और गले में खराश आम बात बन जाती है।
मुख्य कारण हैं:

  • पराली जलाना (पंजाब-हरियाणा से आने वाला धुआं)
  • वाहनों का उत्सर्जन
  • धूलभरी निर्माण गतिविधियां
  • औद्योगिक धुआं

समाधान क्या है?

  • वाहनों पर नियंत्रण: इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध।
  • पराली का विकल्प: किसानों को ‘हैप्पी सीडर’ जैसी मशीनों पर सब्सिडी।
  • फैक्ट्रियों में सुधार: कोयला आधारित प्लांट्स में FGD तकनीक का प्रयोग।
  • धूल पर रोक: निर्माण स्थलों पर वॉटर स्प्रिंकलिंग और ग्रीन कवर।
  • जनजागरूकता: नागरिक खुद जिम्मेदारी लें — पेड़ लगाएं, कचरा न जलाएं।
  • साझा नीति: दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी मिलकर एयरशेड मैनेजमेंट नीति बनाएं।

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