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दिल्ली की हवा जहरीली, GRAP-2 लागू, सांस लेना हुआ मुश्किल

21 अक्टूबर 2025 : दिवाली के जश्न के तुरंत बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई है। मंगलवार (21 अक्टूबर) की सुबह राजधानी और आसपास के इलाकों में धुंध की मोटी चादर छाई रही जिसके कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। दिवाली की रात जमकर पटाखे फोड़े जाने और हवा न चलने के कारण यह स्थिति पैदा हुई।

क्षेत्रAQI स्तर (21 अक्टूबर, सुबह 6:00 बजे)श्रेणी
दिल्ली (औसत)531गंभीर (Severe)
नरेला (दिल्ली)551गंभीर
वजीरपुर (दिल्ली)408गंभीर
नोएडा407गंभीर
गुरुग्राम402गंभीर

यह राष्ट्रीय औसत से 1.8 गुना अधिक है जबकि सोमवार (दिवाली) की शाम को भी 38 में से 34 निगरानी स्टेशनों पर प्रदूषण का स्तर ‘रेड जोन’ (बहुत खराब से गंभीर) में दर्ज किया गया था।

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प्रदूषण का आपातकाल: रेड जोन में शहर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के समीर ऐप के अनुसार सुबह 6:00 बजे तक कई क्षेत्रों में AQI का स्तर 400 से ऊपर यानी ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में था। गंभीर श्रेणी वाले इलाके (AQI 400+): जहांगीरपुरी (404), वजीरपुर (408), बवाना (418) और नरेला (551)। सोमवार दोपहर तक 38 निगरानी स्टेशनों में से 31 पर वायु गुणवत्ता बहुत खराब (AQI 300+) श्रेणी में थी। मौसम विभाग ने बताया कि दिवाली की शाम हवा न चलने के कारण प्रदूषक तत्व आसमान में जमा होते रहे जिससे धुंध की स्थिति बनी।

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प्रदूषण रोकने के लिए GRAP-2 लागू

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए पहले ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP-2) लागू कर दिया गया है।

GRAP-2 के तहत लागू प्रतिबंध:

  • डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक।
  • निजी गाड़ियों के इस्तेमाल को कम करने के लिए पार्किंग फीस में वृद्धि।
  • सीएनजी-इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो की सर्विस में वृद्धि।
  • हालांकि नैचुरल गैस, बायो गैस, एलपीजी से चलने वाले जेनरेटर चलाने की अनुमति दी गई है।

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आगे के दो दिन के लिए अलर्ट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार वायु गुणवत्ता के मानकों में 401 से 500 के बीच AQI को गंभीर माना जाता है। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है कि दिल्ली में मंगलवार और बुधवार को वायु गुणवत्ता के गंभीर श्रेणी में बने रहने या और बिगड़ने की आशंका है।

वायु प्रदूषण के कारण:

निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) के आंकड़ों के अनुसार सोमवार को वायु प्रदूषण में परिवहन उत्सर्जन का योगदान 15.6 प्रतिशत रहा, जबकि उद्योगों सहित अन्य कारकों का योगदान 23.3 प्रतिशत था। उच्चतम न्यायालय ने दिवाली से एक दिन पहले और त्योहार के दिन सुबह 6 से 7 बजे के बीच और फिर रात 8 से 10 बजे तक ही हरित पटाखों के इस्तेमाल की सशर्त अनुमति दी थी।

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