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शेखर पचुंडकर ने कमल पार्टी जॉइन किया, शरद पवार को बड़ा झटका

पुणे 15 अक्टूबर 2025 : स्थानीय स्वराज्य संस्था चुनाव को लेकर पुणे जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजप) अपनी ताकत बढ़ाने में जुट गई है। पुणे शहर में पहले ही कई बड़े नेताओं को अपने पक्ष में शामिल कर चुकी भाजपा अब पुणे ग्रामीण क्षेत्र में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को टारगेट कर रही है। कभी राकांपा का गढ़ रहे पुणे जिले को अपने कब्जे में लेने के लिए भाजपा ने कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है।

इसी कड़ी में, जिला परिषद चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने वह नेता अपने पक्ष में शामिल किया है, जिसे अमोल कोल्हे ने लगभग एक साल पहले तोड़ा था। आंबेगाव-शिरूर विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेता शेखर पचुंडकर ने भाजपा का दामन थाम लिया है। पिछले साल अप्रैल में पचुंडकर ने अजित पवार के राकांपा से रामराम कहकर शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में प्रवेश किया था। उस समय उन्हें आंबेगाव तालुका अध्यक्ष का पद भी दिया गया था। लेकिन अब केवल एक साल में पचुंडकर ने राकांपा का साथ छोड़कर भाजपा में प्रवेश कर लिया है। यह जिला परिषद चुनाव के पहले राकांपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

शेखर पचुंडकर कौन हैं?
शेखर पचुंडकर माजी सहकार मंत्री दिलीप वळसे पाटील के बेहद भरोसेमंद माने जाते थे। लेकिन पिछले साल अप्रैल में अमोल कोल्हे के सक्रिय प्रयास से पचुंडकर ने राकांपा से विदाई लेकर भाजपा में कदम रखा। शेखर पचुंडकर आंबेगाव विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेता हैं और शिरूर के 42 गांवों में उनका मजबूत प्रभाव है।

राकांपा में प्रवेश के बाद उन्हें आंबेगाव का तालुका अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन अब उन्होंने भाजपा का दामन थामकर शरद पवार के पक्ष को छोड़ दिया है। पुणे जिला परिषद के पूर्व सदस्य शेखर पचुंडकर और रांजणगाव देवस्थान ट्रस्ट की अध्यक्षा तथा पूर्व जिला परिषद सदस्य स्वाती पचुंडकर ने मुंबई के भाजपा मुख्यालय में भाजपा में औपचारिक प्रवेश किया। इस अवसर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र चव्हाण भी मौजूद थे।

प्रवेश के समय शेखर पचुंडकर ने कहा, “हमारे तालुका में पिछले कुछ वर्षों से गुंडागिरी और दबंगई का प्रभाव बढ़ा है। समाज के सभी वर्गों में इस गुंडागिरी के खिलाफ आवाज उठ रही है। इसी कारण हम आज भाजपा में शामिल हो रहे हैं।” इस दौरान उन्होंने दिलीप वळसे पाटील और अमोल कोल्हे दोनों पर भी निशाना साधा।

इससे संकेत मिलता है कि पुणे जिले में एक बार फिर भाजपा और राकांपा के बीच नई राजनीतिक लड़ाई देखने को मिल सकती है।

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