लखनऊ 13 अक्टूबर 2025 : उत्तर प्रदेश विद्युत परिषद अभियंता संघ ने रविवार को राजधानी लखनऊ में “मंथन शिविर” का आयोजन किया, जिसमें ऊर्जा विभाग के निजीकरण और स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर कड़ा विरोध दर्ज किया गया। अभियंताओं ने संकल्प लिया कि सरकार के किसी भी निजीकरण प्रस्ताव को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा, और इसे खारिज कराने तक आंदोलन जारी रहेगा।
उपभोक्ताओं को निर्बाध मिलेगी बिजली
संघ ने यह भी वादा किया कि दीपावली के दौरान प्रदेश के उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति दी जाएगी। साथ ही 16 अक्टूबर को राज्य के सभी जिलों में आमसभा आयोजित करने का निर्णय लिया गया, जिसमें निजीकरण के खिलाफ रणनीति तय की जाएगी।
उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कर रहा है स्मार्ट मीटर
शिविर में अभियंताओं ने पॉवर कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली की तीखी आलोचना की। उनका कहना था कि “कॉर्पोरेशन उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कर रहा है—कभी स्मार्ट मीटर, तो कभी निजीकरण के नाम पर शोषण किया जा रहा है। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि “पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण के बाद कर्मचारियों को दिए जा रहे तीनों विकल्प अस्वीकार्य हैं।” बैठक में इन्हें सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया।
स्मार्ट मीटर थोपना असंवैधानिक – अभियंता संघ का ऐलान
राज्य में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के खिलाफ भी जोरदार विरोध शुरू हो गया है। अभियंताओं और उपभोक्ता संगठनों ने कहा कि बिजली कंपनियां उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि “विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के अनुसार उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर का विकल्प चुनने का अधिकार है। लेकिन कंपनियां बिना अनुमति के लाखों मीटरों को प्रीपेड मोड में बदल रही हैं। उन्होंने विद्युत नियामक आयोग से हस्तक्षेप और जांच की मांग की, साथ ही “चेक मीटर घोटाले” की जांच कराने की भी अपील की।
