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Gold Price Today: धनतेरस से पहले सोने की कीमत, जानें दिल्ली और अन्य शहरों के रेट

13 अक्टूबर 2025  : देशभर में सोने के दाम अक्टूबर महीने की शुरुआत से ही लगातार बढ़ते जा रहे हैं और अब ये ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे दो बड़े कारण हैं। एक – अमेरिका में संभावित सरकारी शटडाउन की आशंका, जिसके चलते निवेशक सुरक्षित निवेश के विकल्प, जैसे कि सोना, खरीद रहे हैं। दूसरा – भारत में नवरात्र, धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहारों के कारण सोने की मांग में वृद्धि हो रही है।

देखें दिल्ली समेत बाकी शहरों में क्या है रेट

दिल्ली: 24 कैरेट सोना – 1,25,220 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट सोना – 1,14,790 रुपये प्रति 10 ग्राम।

मुंबई, चेन्नई और कोलकाता: 24 कैरेट सोना – 1,25,070 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट सोना – 1,14,640 रुपये प्रति 10 ग्राम।

जयपुर, लखनऊ और चंडीगढ़: 24 कैरेट सोना – 1,23,850 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट सोना – 1,13,540 रुपये प्रति 10 ग्राम।

भोपाल और अहमदाबाद: 24 कैरेट सोना – 1,25,120 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट सोना – 1,14,690 रुपये प्रति 10 ग्राम।

हैदराबाद: 24 कैरेट सोना – 1,23,700 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट सोना – 1,13,390 रुपये प्रति 10 ग्राम।

सोने और चांदी की कीमतें कैसे तय होती हैं

1. अंतरराष्ट्रीय बाजार और मुद्रा दर: सोने और चांदी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर से तय होती हैं। जब डॉलर मजबूत होता है या रुपया कमजोर होता है, तो भारत में कीमतें बढ़ जाती हैं।

2. आयात शुल्क और टैक्स: भारत में सोने का बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। इंपोर्ट ड्यूटी या GST बढ़ने पर कीमतों में बढ़ोतरी होती है।

3. वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां: युद्ध, आर्थिक मंदी या ब्याज दर में बदलाव जैसी परिस्थितियों में निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर रुख करते हैं, जिससे कीमतें बढ़ती हैं।

4. सांस्कृतिक और सामाजिक मांग: शादी, त्यौहार और शुभ अवसरों पर सोना खरीदना पारंपरिक रूप से शुभ माना जाता है, जिससे मांग और कीमतें बढ़ती हैं।

5. मुद्रास्फीति और निवेश का नजरिया: महंगाई बढ़ने या शेयर बाजार अस्थिर होने पर लोग सोने और चांदी में निवेश करना सुरक्षित मानते हैं, जिससे कीमतें ऊपर जाती हैं।

इस तरह, सोने और चांदी की कीमतें केवल धातु के मूल्य पर नहीं, बल्कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों, त्योहारी मांग और निवेशक के व्यवहार पर निर्भर करती हैं।

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