लातूर 10 अक्टूबर 2025 : महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटील के एक बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने किसानों की कर्जमाफी को ‘लत’ करार देते हुए कहा है कि चुनाव जीतने के लिए नेता कुछ भी वादे कर देते हैं, लेकिन जनता को सोच-समझकर मांग करनी चाहिए। इस बयान पर विपक्ष ने कड़ी नाराजगी जताई है और मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP के नेता पाटील के बयान को विपक्ष ने असंवेदनशील करार दिया है।
‘कर्जमाफी की लत लग गई है’
पाटील ने एक जनसभा में कहा, ‘लोगों को कर्जमाफी की लत लग गई है। हमें चुनाव जीतना होता है, इसलिए चुनाव में हम कुछ न कुछ वादा करते हैं, लेकिन लोगों को तय करना चाहिए कि उन्हें क्या मांग करनी चाहिए। किसी चुनाव में अनिल भाई जैसे नेता किसी गांव गए और वहां के लोगों ने मांग की कि हमें नदी चाहिए। नेता सोचते हैं कि चुनाव हार रहे हैं, जीतने के लिए अभी नदी लाने का वादा कर देते हैं। चुनाव के वक्त हम कुछ भी वादा करते हैं, पर लोगों को तय करना चाहिए कि उन्हें क्या मांगना चाहिए।’
‘किसानों के जख्मों पर नमक छिड़का है’
अहमदपुर विधानसभा क्षेत्र से NCP के विधायक और सहकारिता मंत्री पाटील ने अपने बयान में यह भी कहा कि किसानों को ‘कर्जमाफी की लत’ लग गई है। विपक्ष पाटील के इस बयान को किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाला बता रहा है। बता दें कि सूबे में किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं और सूखे व प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। विपक्षी दलों ने इस बयान को किसानों का अपमान बताते हुए बाबासाहेब पाटील के इस्तीफे की मांग की है। साथ ही, उन्होंने सरकार से चुनावी वादे में शामिल कर्जमाफी को तुरंत लागू करने की मांग की है।
कौन हैं बाबासाहेब पाटील?
बाबासाहेब मोहनराव जाधव (पाटील) का जन्म 5 दिसंबर 1958 को लातूर जिले के शिरूर में हुआ था। वह पहली बार 2009 में अहमदपुर विधानसभा सीट से विधायक बने। इसके बाद 2019 और 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने NCP के टिकट पर जीत हासिल की। वर्तमान में वह महाराष्ट्र सरकार में सहकारिता मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। किसानों की कर्जमाफी लंबे समय से महाराष्ट्र की सियासत में एक बड़ा मुद्दा रहा है। ऐसे में बाबासाहेब पाटील का यह बयान सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
