07 अक्टूबर 2025 : महाराष्ट्र की महायुति सरकार के वरिष्ठ मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने स्वीकार किया है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की महत्वाकांक्षी ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ के चलते राज्य की अन्य सरकारी योजनाओं पर असर पड़ा है। यह पहली बार है जब सरकार के किसी मंत्री ने सार्वजनिक रूप से इस योजना के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट की बात मानी है।
भुजबल ने बताया कि वर्तमान में राज्य के लगभग सभी विभाग धन की कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि लाडकी बहिन योजना पर करीब 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, जिससे अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं बच पा रहा।
‘आनंदाचा शिधा’ और ‘शिव भोजन थाली’ पर संकट
भुजबल ने अपने विभाग की लोकप्रिय योजना ‘आनंदाचा शिधा’ के भविष्य पर चिंता जताई। यह योजना 2022 में दिवाली के दौरान शुरू की गई थी, जिसके तहत केसरिया राशन कार्ड धारकों को ₹100 में चार जरूरी खाद्य वस्तुएं दी जाती हैं। इस योजना पर हर साल करीब 500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं और लगभग 1.6 करोड़ परिवार इससे लाभान्वित होते हैं।
इसी तरह, ‘शिव भोजन थाली’ योजना भी संकट में है, जिसके तहत हर दिन दो लाख जरूरतमंदों को ₹10 में भोजन दिया जाता है। इस योजना के लिए 140 करोड़ रुपये की जरूरत होती है, लेकिन इस वर्ष केवल 70 करोड़ रुपये ही मिले हैं।
बढ़ता घाटा, घटते संसाधन
राज्य के बजट आंकड़े भी भुजबल की चिंता की पुष्टि करते हैं। वित्त वर्ष 2025-26 में महाराष्ट्र का राजस्व घाटा 45,890.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के 20,050.69 करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुना है। वहीं, राजकोषीय घाटा बढ़कर 1,36,234.62 करोड़ रुपये हो गया है।
भुजबल के अनुसार, “जब एक ही योजना पर इतनी बड़ी राशि खर्च की जाएगी, तो बाकी योजनाओं पर असर पड़ना स्वाभाविक है।”
