02 अक्टूबर 2025 : स्वातंत्र्य प्राप्ति के बाद देश में राष्ट्रीय एकात्मता स्थापित करने के उद्देश्य से 1961 में स्थापित युसूफ मेहरअली सेंटर के संस्थापक और देशभर में समाज सेवा में सक्रिय गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जी.जी. पारीख का 2 अक्टूबर 2025 को सुबह 5 बजे मुंबई स्थित अपने आवास पर निधन हो गया। वे 101 वर्ष के थे और पिछले सात दशकों से देश के 11 राज्यों में अपने केंद्र की शाखाओं के माध्यम से हजारों जरूरतमंदों के लिए मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर रहे थे।
डॉ. जी.जी. पारीख का व्यक्तित्व समाजवादी आदर्शों का प्रतीक था। पांघरी दाढ़ी, खादी का कुर्ता-पायजामा और सरल, मिलनसार स्वभाव उनके जीवन के हर पहलू में दिखाई देता था। 1940 में मात्र 16 वर्ष की आयु में मुंबई आए पारीख ने सेंट जॉर्ज कॉलेज के हॉस्टल में रहते हुए स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। 1942 के आंदोलन के दौरान उन्होंने कॉलेज में ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीन दिवसीय हड़ताल की, जिससे उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर 10 महीने के कारावास में रखा।
1947 में वे स्टूडेंट कांग्रेस के मुंबई शाखा के अध्यक्ष बने। समाज सेवा और खादी प्रचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अविरत रही। उन्होंने खादी को केवल पहनावे तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे जीवन शैली और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक के रूप में अपनाया। 1970 के दशक में उन्होंने ‘Make Khadi a Fashion’ का विचार भी प्रस्तुत किया।
डॉ. जी.जी. पारीख ने अपने जीवन में कभी मान-सम्मान या पुरस्कारों के पीछे ध्यान नहीं दिया। उनका उद्देश्य केवल समाज के लिए कार्य करना था। उनकी शाश्वत सेवा का प्रतीक युसूफ मेहरअली सेंटर आज भी पनवेल के कर्नाळा ग्रामपंचायत में सक्रिय है।
डॉ. जी.जी. पारीख ने अपने देहदान का निर्णय अपने जीवन में ही ले लिया था। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन मुंबई सेंट्रल स्थित युसूफ मेहरअली मेमोरियल ट्रस्ट की स्कूल के मैदान में रखा जाएगा। इसके बाद उनका शरीर जे जे अस्पताल को सुपुर्द किया जाएगा।
डॉ. जी.जी. पारीख का जीवन स्वतंत्रता संग्राम, समाज सेवा और खादी के प्रचार में समर्पित रहा, और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा।
