28 सितंबर 2025: मुंबई में ट्रेन के डब्बों से ZS कपलर चोरी करने वाले चार आरोपियों को वाडी बंदर RPF ने गिरफ्तार किया है. आरोपी यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ताक पर रखकर रात-दिन ट्रेन के ZS कपलर निकालकर बेचते थे ताकि उस पैसे को अपनी अय्याशी पर खर्च कर सकें. बताया जा रहा है कि आरोपियों ने यूट्यूब देखकर चोरी करना सीखा. घटना की जानकारी के बाद RPF ने सख्त कार्रवाई करते हुए पहले मुख्य संदिग्ध हिरामन को पकड़ा, जिसने अपना गुनाह कबूल किया, और फिर बाकी आरोपियों को भी हिरासत में लिया गया.
जांच में पता चला कि गिरफ्तार चारों—हिरामन झोटिया चौधरी (24), अर्जुन किशोर चौधरी (29), मन्नू मदन प्रसाद (26), जो माहिम ईस्ट के PF नंबर-6 के पास झोपड़पट्टियों में रहते हैं और रेलवे ठेकेदारों के पास मजदूरी करते हैं, सीधे तौर पर यार्ड और कोचों में काम कर रहे कर्मचारियों का रवैया और काम का तरीका देखकर सीख गए थे कि ZS कपलर कैसे लगाया और निकाला जाता है.
चोरों ने यूट्यूब पर कपलर निकालने की तकनीक समझी
चौथा आरोपी सुमरण गंगा राम गुप्ता (44), जो माहिम वेस्ट में भंगार की दुकान चलाता है, गिरोह का लीडर और ठिकाने लगाने वाला निकला. वह जगह और तरीका बताता था और चोरी किए गए कपलरों को बेचना और ठिकाना लगाने में मदद कर रहा था. जांच से यह भी सामने आया कि आरोपियों ने केवल यार्ड में देखकर ही नहीं, बल्कि यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो देखकर चोरी की तकनीक की बारीकियां समझीं और अभ्यास किया कि किस तरह कपलर निकाला जाता है और उसे कैसे तुरंत ठिकाने लगाना है.
आरोपियों ने गणपति विसर्जन जैसे मौकों पर क्राउड कंट्रोल और सुरक्षा व्यवस्था की व्यस्तता का लाभ उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देने की रणनीति बनाई. RPF के अनुसार उन्होंने उसी दिन वाडी बंदर रेलवे कारशेड में जाकर चोरी की कार्रवाई की.
वाडी बंदर RPF ने सीसीटीवी फुटेज के जरिए की कार्रवाई
वाडी बंदर RPF पोस्ट के इंचार्ज बृजेश कुमार ने बताया, ”घटना के सामने आते ही RPF के सीनियर DSC और DIG के निर्देशन में चार अलग-अलग टीमों का गठन किया गया. एक टीम ने CCTV फुटेज खंगाली, दूसरी टीम ह्यूमन इंटेलिजेंस से मदद ले रही थी, और बाकी टीमें अलग-अलग बिंदुओं पर छानबीन कर रही थीं.
CCTV फुटेज से संदिग्ध चेहरा मिलने पर स्थानीय पुलिस के साथ को-ऑर्डिनेट किया गया और इसी दिशा-निर्देश पर पहले हिरामन को हिरासत में लिया गया जिसने कबूल करते हुए अन्य साथियों के नाम भी बताए. उसके बाद तेज़ कार्रवाई कर बाकी तीनों आरोपियों को भी पकड़ा गया.
क्या है ZS कपलर जिसकी करते थे चोरी?
RPF ने बताया कि ZS कपलर नई LHB कोचों में लगते हैं और इनके द्वारा एक कोच से दूसरे कोच में बिजली की सप्लाई होती है. इन कपलरों में कॉपर वायर लगे होते हैं जिनकी कीमत बाज़ार में काफी होती है. एक ZS कपलर की अनुमानित कीमत करीब एक लाख रुपये है. आरोपियों ने चोरी कर इतने महंगे उपकरणों को बेचना या ठिकाना लगाना ही अपना प्राथमिक उद्देश्य बताया यानी अय्याशी और गैरकानूनी आय के लिए ये चोरी योजनाबद्ध रूप से की जा रही थी.
चोरों से कुछ कपलर और अन्य सामान जब्त
बृजेश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा, ”आरोपियों के खिलाफ RPUP की संबंधित धाराओं के तहत आवश्यक कानूनी कार्रवाई की गई है और चोरी किए गए कुछ कपलर और अन्य अहम दस्तावेज या सामग्री जब्त कर ली गई है.”
