20 सितंबर 2025 : मुंबई विश्वविद्यालय के कलिना परिसर में 28 दिन से आंदोलन कर रहे बौद्ध भिक्षु छात्र पर सुरक्षा अधिकारियों द्वारा हमले का आरोप लगा है। इस प्रकरण में आंदोलनकारियों ने कुलपति के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि पाली विभाग को तुरंत मान्यता दी जाए और उन्हें स्वतंत्र इमारत उपलब्ध कराई जाए। इन मांगों के समर्थन में छात्रों ने उपवास शुरू किया है।
आंदोलनकारियों का आरोप है कि “केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने में प्रशासन ने बाधा डाली और झूठा मामला दर्ज किया।” मनसे छात्र सेना के राज्य सचिव अॅड. संतोष गांगुर्डे ने कहा कि “विद्यापीठ प्रशासन का यह व्यवहार निंदनीय है और कुलपतियों को जिम्मेदारी स्वीकार कर इस्तीफा देना चाहिए।”
वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि भिक्षु विमांसा आयू राजेश जनार्दन बलखंडे का आंदोलन अवैध था और उन्हें इस बारे में पत्र द्वारा सूचित किया गया था। उनके विभिन्न मांगों पर चर्चा के लिए कुलसचिव ने 26 अगस्त को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भवन में बैठक बुलाई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इसके बाद कुलसचिव और वांद्रे-कुर्ला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एवं सुरक्षा कर्मियों ने उपवास स्थल पर जाकर उनसे मुलाकात की, लेकिन उन्होंने आंदोलन जारी रखा।
11 सितंबर को कुलपतियों ने बलखंडे के साथ बैठक आयोजित की, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और सुरक्षा कर्मी मौजूद थे। बैठक के दौरान लगभग डेढ़ घंटे तक सकारात्मक चर्चा हुई, लेकिन छात्र बैठक छोड़कर चले गए।
15 सितंबर को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के कार्यक्रम के दौरान छात्र सभा के रास्ते में खड़े होकर सुरक्षा अधिकारी की रूट पर बाधा बने। प्रशासन के अनुसार, छात्र ने सुरक्षा अधिकारियों को चोट नहीं पहुँचाई और उन्हें बीकेसी पुलिस स्टेशन ले जाया गया। मारपीट की खबरें प्रशासन ने खारिज की हैं।
