नई दिल्ली 18 सितंबर 2025 : ‘किसान देश के लिए महत्वपूर्ण हैं, हमें उनके कारण अन्न मिलता है; लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते। खेतों में फसल की बचे हुए पौधों और पराली (पेंड़ों) को जलाकर प्रदूषण फैलाने वाले किसानों पर दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती? ऐसे प्रदूषण फैलाने वाले किसानों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाना चाहिए? अगर कुछ किसानों को जेल में डाला जाता है, तो इससे दूसरों को उचित संदेश मिलेगा और प्रदूषण फैलाने वाली पद्धतियों पर रोक लगेगी,’ ऐसी सख्त टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को की।
दिल्ली के आसपास के राज्यों में प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरणों में खाली पदों को भरने के मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
दिवाली के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण हर साल चरम पर पहुंचता है, जिसका मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा के किसान अपने खेतों की पराली और फसल के अवशेष जला देते हैं। इस धुएं में पटाखों का धुआं मिलकर राजधानी की हवा को बेहद हानिकारक बना देता है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और हिवाळा शुरू होने से पहले तीन हफ्तों के भीतर वायु प्रदूषण नियंत्रण की विस्तृत योजना तैयार करने के निर्देश दिए। यह निर्देश वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQUM), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को जारी किए गए।
न्यायालयमित्र अपराजिता सिंह ने कहा कि पराली जलाने को रोकने के लिए किसानों को अनुदान और यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन किसान अभी भी शिकायत कर रहे हैं। इस पर नियंत्रण के लिए 2018 से सुप्रीम कोर्ट कई आदेश दे चुका है।
राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उपाय सुझाए, जिसमें वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की स्थापना, प्रभावी कचरा संग्रह और निपटान के लिए एकीकृत कचरा प्रबंधन प्रणाली और पराली जलाने की समस्या पर समाधान पर विशेष ध्यान दिया गया।
