पुणे 03 सितंबर 2025 : मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने पाँचवें दिन अपना आमरण अनशन वापस ले लिया। सरकार की ओर से हैदराबाद गजेटियर लागू करने का जीआर जारी होने के बाद ही जरांगे पाटिल ने यह निर्णय लिया। आंदोलनकारियों ने ‘राजे हो, हम जीत गए’ का नारा लगाकर गुलाल उड़ाया।
लेकिन इसी जीआर पर पूर्व न्यायमूर्ति बी. जी. कोळसे पाटिल ने सवाल उठाते हुए बड़ा खुलासा किया। उनका कहना है कि यह जीआर मराठा समाज के साथ धोखा है और इसे मात्र “मुंह पोंछने का कागज” बताया। उन्होंने कहा – “मैं 100% सच बोलने को तैयार हूँ, चाहे आलोचना हो। इतने बड़े आंदोलन के बाद हमें क्या मिला? मैंने जरांगे पाटिल को फोन कर रोते हुए कहा था कि यह रास्ता सही नहीं है, इससे तुम्हारी सेहत और मराठों दोनों का नुकसान होगा। सरकार ने जो कबूल किया है, वह किसी भी कानूनी कसौटी पर खरा नहीं उतरता।”
बी. जी. कोळसे पाटिल के साथ ही मराठा राज्य समन्वयक योगेश केदार और वरिष्ठ विधिज्ञ असीम सरोदे ने भी इसी तरह का संदेह जीआर पर जताया। इसके बाद मराठा समाज में यह भावना उभर रही है कि जैसे युद्ध जीता लेकिन तह में हार गए।
कल जिस तरह मराठा आंदोलनकारियों ने जश्न मनाया, वैसा ही जश्न पहले नवी मुंबई में तब मनाया गया था जब तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आश्वासन दिया था। लेकिन उसके बाद समाज निराश हुआ और आंदोलन को और तेज करना पड़ा। अब फिर से सरकार की घोषणाओं और अधूरी मांगों को लेकर मराठा समाज में संशय और असमंजस का माहौल बन गया है।
