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गणेशोत्सव पर 28 हजार करोड़ का कारोबार होने का अनुमान

नई दिल्ली 27 अगस्त 2025 : इस वर्ष का गणेशोत्सव केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक सशक्त इंजन बनकर सामने आ रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने गणना की है कि देशभर में गणेशोत्सव के दौरान ₹28,000 करोड़ से अधिक का व्यापार होने की संभावना है। इस अनुमान के पीछे प्रमुख कारणों में स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता, बढ़ी हुई उपभोक्ता भागीदारी और आधुनिक उत्सव प्रबंधन शामिल हैं।

स्वदेशी पर विशेष जोर

CAIT के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि व्यापारियों ने इस वर्ष विदेशी सामानों का पूर्ण बहिष्कार कर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाया है। गणेश प्रतिमाओं से लेकर पूजा सामग्री, सजावट, मिठाइयों तक हर स्तर पर ‘मेक इन इंडिया’ की भावना को अपनाया गया है।

उपभोक्ताओं को भी स्थानीय उत्पादों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे स्थानीय शिल्पकारों और कारीगरों को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है।

 राज्यवार आर्थिक गतिविधियां और सांस्कृतिक प्रभाव

CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा जैसे राज्यों में व्यापक आर्थिक गतिविधियों को जन्म देती है।

यह न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह भारतीय सनातन अर्थव्यवस्था की गहराई और निरंतरता को दर्शाता है।

 पंडाल निर्माण से लेकर बीमा तक—व्यापार का विस्तृत खाका

गणेश पंडाल निर्माण

  • कुल अनुमानित पंडाल संख्या: 2 लाख से अधिक
  • राज्यवार: महाराष्ट्र (7 लाख), कर्नाटक (5 लाख), आंध्र-तेलंगाना-मध्य प्रदेश (2 लाख प्रत्येक), गुजरात (1 लाख), अन्य राज्यों में (2 लाख)
  • प्रति पंडाल न्यूनतम खर्च: ₹50,000
  • कुल व्यय: लगभग ₹10,500 करोड़ से अधिक

गणेश प्रतिमा उद्योग

  • बढ़ती लागतों और पर्यावरण-अनुकूल सामग्री के प्रयोग से
  • कुल कारोबार: ₹600 करोड़+

पूजा सामग्री

  • फूल, माला, नारियल, फल, धूपबत्ती आदि
  • कुल अनुमानित व्यापार: ₹500 करोड़+

 मिठाई उद्योग (मोदक, लड्डू आदि)

  • गणपति बप्पा को प्रिय मोदक की मांग सबसे अधिक
  • मिठाइयों की कुल बिक्री: ₹2,000 करोड़+

कैटरिंग व स्नैक्स

  • रोज़ाना पंडालों में आयोजित सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रमों के लिए
  • कुल अनुमानित कारोबार: ₹3,000 करोड़+

पर्यटन व परिवहन

  • दर्शन हेतु राज्य-दर-राज्य, शहर-दर-शहर यात्राएं
  • कुल व्यापार: ₹2,000 करोड़+

 रिटेल व गिफ्टिंग सेक्टर

  • सजावट, कपड़े, खिलौने, उपहार आदि
  • कारोबार: ₹3,000 करोड़+

इवेंट मैनेजमेंट

  • विशाल पंडालों के लिए विशेष आयोजक, सुरक्षा, ध्वनि, प्रकाश, थीम आधारित डिज़ाइन
  • व्यवसाय: ₹5,000 करोड़+

पर्यावरण और जागरूकता आधारित सेवाएं

  • कृत्रिम विसर्जन टैंक, मूर्तियों का पुनर्चक्रण, सजावट सामग्री का रीयूज़
  • नगरपालिका और प्राइवेट फर्मों के बीच साझेदारी बढ़ी

सोना-चांदी और आभूषण कारोबार

  • सार्वजनिक पंडालों में श्रद्धालुओं द्वारा गणेश जी की चांदी की मूर्तियाँ, सिक्के दान में दिए जाते हैं
  • इस वर्ष का अनुमानित कारोबार: ₹1,000 करोड़+

बीमा क्षेत्र में भी उछाल

धार्मिक स्थलों पर बढ़ती भीड़ और कीमती मूर्तियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब गणेश मंडलों द्वारा बीमा कराना एक सामान्य प्रक्रिया बन गया है।

  • मूर्तियों पर चढ़े लाखों के आभूषण, LED, जेनरेटर, साउंड सिस्टम आदि भी बीमा में शामिल होते हैं
  • बीमा क्षेत्र का अनुमानित कारोबार: ₹1,000 करोड़+

त्योहारों से सजी भारतीय अर्थव्यवस्था की श्रृंखला

शंकर ठक्कर के अनुसार, गणेश चतुर्थी से प्रारंभ यह उत्सव चक्र रक्षाबंधन, नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, दीपावली, छठ पूजा और विवाह सत्र तक चलता है। यह पूरे भारत की खुदरा, सेवा, विनिर्माण और खाद्य अर्थव्यवस्था को एक गतिशील बहाव प्रदान करता है।

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