• Fri. Dec 5th, 2025

फडणवीस का नया मिशन: ठाकरे-पवार को फोन, 38 साल बाद क्या होगा बदलाव?

मुंबई/नई दिल्ली 22 अगस्त 2025 : उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले NDA और कांग्रेस की अगुवाई वाली इंडिया गठबंधन ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। NDA की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं। दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होगा। इसके लिए दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान करते हैं। वर्तमान में दोनों सदनों में सत्ता पक्ष के पास बहुमत है, इसलिए राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन उन्हें बिना विरोध के चुने जाने के लिए बीजेपी ने विशेष प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसी मिशन के तहत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार को फोन किया। फडणवीस ने इन नेताओं से अपील की कि वे राधाकृष्णन का समर्थन करें। राजनाथ सिंह ने भी यही आग्रह किया, लेकिन दोनों नेताओं की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।

उद्धव ठाकरे के पास लोकसभा में 9 और राज्यसभा में 2 सांसद हैं, वहीं शरद पवार के पास लोकसभा में 8 और राज्यसभा में 2 सांसद हैं। दोनों के पास मिलकर 21 सांसद हैं, इसलिए उनका समर्थन महत्त्वपूर्ण है।

भले ही NDA के पास पर्याप्त संख्या बल है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव को बिनविरोध कराने के लिए बीजेपी के प्रयास जारी हैं। राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, और पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने महाराष्ट्र में ही मतदान किया था। इस महाराष्ट्र कनेक्शन का हवाला देकर फडणवीस ठाकरे और पवार से समर्थन मांग रहे हैं। राज्य में महायुति और महाविकास आघाड़ी का संख्याबल देखते हुए राधाकृष्णन को महाराष्ट्र में चुनौती मिल सकती है।

विशेष बात यह है कि पिछले 38 सालों में उपराष्ट्रपति का चुनाव कभी बिनविरोध नहीं हुआ। 1987 में शंकर दयाल शर्मा आखिरी बार बिनविरोध चुने गए थे। योगायोग से दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति बनने से पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे थे।

शंकर दयाल शर्मा ने आंध्र प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र में राज्यपाल का कार्य किया और केंद्र में मंत्री पद भी संभाला। उस समय कांग्रेस की सत्ता थी और उनके पास विरोधियों का कोई संख्याबल नहीं था। इसके साथ ही शर्मा के सभी पक्षों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध थे। कांग्रेस के दबदबे और शर्मा के व्यक्तिगत संबंधों के कारण 22 अगस्त 1987 को वे बिनविरोध उपराष्ट्रपति बने।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *