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जिन्ना के निधन पर नेहरू का भावुक बयान, आज भी दिल को छू जाता है

10 अगस्त 2025: पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-ए-आज़म कहा जाता है। उन्हें पाकिस्तान का संस्थापक माना जाता है और देश को अलग राष्ट्र बनाने में उनकी अहम भूमिका रही। जिन्ना ने आज़ादी के समय धर्म के आधार पर एक अलग देश की मांग रखी थी, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान का निर्माण हुआ। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना के रिश्ते के बारे में। जवाहर लाल नेहरू ने जिन्ना की मृत्यु पर कुछ बोल बोले थे जो आज तक लोगों के दिलों में जिंदा है। 

जिन्ना का जीवन और निधन

भारत का बंटवारा 14 अगस्त 1947 को हुआ, जिससे पाकिस्तान का जन्म हुआ। मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने। हालांकि, उनका कार्यकाल लंबा नहीं चला और 11 सितंबर 1948 को कराची में उनका निधन हो गया। जिन्ना गंभीर रूप से बीमार थे। उन्हें टीबी की गंभीर बिमारी थी, लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी को सार्वजनिक नहीं किया। पाकिस्तान बनने के केवल एक साल बाद ही उनका देहांत होना देश के लिए बड़ा झटका था।

जिन्ना के निधन पर नेहरू की प्रतिक्रिया

जिन्ना की मौत की खबर ने न केवल पाकिस्तान, बल्कि भारत को भी चौंका दिया। उस समय दोनों देशों के बीच माहौल बेहद तनावपूर्ण था, फिर भी नेहरू ने उनके निधन पर गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा था, मोहम्मद अली जिन्ना एक असाधारण व्यक्तित्व थे। हमारे बीच गहरे मतभेद रहे, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता और नेतृत्व को नकारा नहीं जा सकता। मेरे मन में उनके लिए कोई कड़वाहट नहीं है, केवल जो कुछ हुआ उसके लिए गहरा दुख है।”

नेहरू-जिन्ना संबंध

आज़ादी से पहले और बाद में, पंडित जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना दो बड़े नेता थे, लेकिन उनके विचार एक-दूसरे से काफी अलग थे। जिन्ना मुस्लिम बहुल अलग राष्ट्र के समर्थक थे, जबकि नेहरू धर्मनिरपेक्ष भारत के पक्षधर थे। विचारों में मतभेद के बावजूद, दोनों अपने-अपने देशों में बेहद लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता थे।

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