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खरगे का मोदी पर वार – शुल्क मामले से निपटने में असमर्थ दिख रहे पीएम

07 अगस्त 2025 : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर कुल 50 प्रतिशत का शुल्क लगाए जाने की घोषणा के बाद बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार की विदेश नीति पूरी तरह लड़खड़ा गई है और उसे समझ नहीं आ रहा कि इस स्थिति से कैसे निपटें। खरगे ने दावा किया कि ट्रंप बार बार धमका रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुप हैं। खरगे ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘ भारत का राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। कोई भी देश जो गुटनिरपेक्षता की विचारधारा में अंतर्निहित हमारी समय की कसौटी पर कसी गई सामरिक स्वायत्तता की नीति के लिए भारत को मनमाने ढंग से दंडित करता है, वह भारत के मज़बूत ढांचे को नहीं समझता।” उन्होंने इस बात का उल्लेख किया, ‘‘ सातवें बेड़े की धमकियों से लेकर परमाणु परीक्षणों के प्रतिबंधों तक, हमने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को आत्मसम्मान और गरिमा के साथ निभाया है।”

खरगे के अनुसार ट्रंप ने 50 प्रतिशत शुल्क लगाने की बात ऐसे समय कही है जब भारत की कूटनीति बहुत बुरी तरह लड़खड़ा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, जब ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने युद्धविराम में मध्यस्थता की है, तब आप चुप रहे। उन्होंने कम से कम 30 बार ऐसा दावा किया है और यह संख्या बढ़ती जा रही है।” उन्होंने दावा किया कि 30 नवंबर 2024 को ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी थी और उस समय प्रधानमंत्री मोदी वहां बैठे मुस्करा रहे थे, जबकि ट्रंप ने ‘ब्रिक्स को मृत’ कहा था। उन्होंने कहा, ‘‘ट्रंप महीनों से ‘जवाबी शुल्क’ की योजना बना रहे थे। हम सभी इसके बारे में जानते थे। आपने केंद्रीय बजट में कृषि, एमएसएमई और विभिन्न उद्योगों जैसे हमारे प्रमुख क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए कुछ नहीं किया।”

खरगे ने कहा, “आपके (मोदी) मंत्री महीनों से अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करने की बात कह रहे हैं। उनमें से कुछ तो कई दिनों तक वाशिंगटन में डेरा भी डाले रहे।” उन्होंने कहा,‘‘ आप अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करने में विफल रहे। आपके पास छह महीने से ज़्यादा का समय था। अब ट्रंप हमें डरा-धमका रहे हैं और मजबूर कर रहे हैं , लेकिन आप चुप हैं।” उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि भारत का अमेरिका को निर्यात लगभग 7.51 लाख करोड़ रुपये (2024) है और 50 प्रतिशत का एकमुश्त शुल्क 3.75 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ डालेगा।

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