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PM मोदी से वसुंधरा और भजनलाल की मुलाकात के पीछे क्या है सियासी संकेत?

30 जुलाई 2025 : राजस्थान की सत्ता के गलियारों में एक बार फिर हलचल है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के ठीक एक दिन बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी दिल्ली पहुंचते हैं और संसद भवन में प्रधानमंत्री से करीब 40 मिनट तक मुलाकात करते हैं। अब सवाल उठ रहा है क्या ये महज ‘शिष्टाचार भेंट’ है या फिर बीजेपी के अंदरूनी समीकरणों में कुछ बड़ा फेरबदल होने वाला है?

क्या संकेत दे रही हैं ये मुलाकातें?
भजनलाल शर्मा की इस यात्रा को महज प्रशासनिक बताना शायद पूरा सच नहीं होगा। जिस तरह वसुंधरा राजे पहले दिल्ली पहुंचीं और फिर भजनलाल शर्मा—ये क्रम ही काफी कुछ कह जाता है। एक ओर भजनलाल शर्मा पीएम मोदी को राजस्थान की विकास योजनाओं की रिपोर्ट सौंपते हैं, तो दूसरी ओर संगठनात्मक फीडबैक और हालिया घटनाओं की चर्चा भी करते हैं। इससे साफ है कि ये मुलाकात सिर्फ फाइलों की समीक्षा नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर ‘पावर बैलेंस’ की समीक्षा भी थी।

PMO से लेकर X (एक्स) तक, हर जगह संदेश साफ है
प्रधानमंत्री कार्यालय ने खुद इस मुलाकात की तस्वीरें साझा कीं और भजनलाल शर्मा ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करके कहा कि ‘राजस्थान डबल इंजन की सरकार के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।’ लेकिन क्या इस पोस्ट के जरिए मुख्यमंत्री ने परोक्ष रूप से यह जताने की कोशिश की है कि भाजपा का वर्तमान नेतृत्व ही प्रदेश को सही दिशा दे रहा है?

वसुंधरा बनाम भजनलाल? या फिर नई रणनीति का हिस्सा?
बीजेपी की राजनीति में यह अक्सर देखा गया है कि जब कोई नेता लंबी चुप्पी के बाद दिल्ली दरबार में दस्तक देता है, तो उसके मायने सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि संगठनात्मक भी होते हैं। वसुंधरा राजे की पीएम से मुलाकात को कई लोग उनके पुनः सक्रिय होने के तौर पर देख रहे हैं। और भजनलाल शर्मा की यह ‘तेज-तर्रार’ दिल्ली दौड़, उस सक्रियता पर एक ‘काउंटर मूव’ के रूप में देखी जा रही है।

केंद्र के मंत्रियों से मुलाकात—सिर्फ विकास एजेंडा या सत्ता का मैसेज?
दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल और जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से भी भेंट की।
मनरेगा की 4384 करोड़ की राशि, 7.46 लाख नए आवास, जयपुर मेट्रो फेज-2, जल जीवन मिशन—ये सारे मुद्दे सामने आए, लेकिन ये मुलाकातें भजनलाल के लिए एक ‘पॉलिटिकल स्ट्रेंथ शो’ भी हो सकती हैं, जिससे वे अपने नेतृत्व की केंद्रीय स्वीकार्यता को प्रदर्शित कर सकें।

निष्कर्ष: राजस्थान बीजेपी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं?
इन दोनों मुलाकातों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजस्थान भाजपा में सियासी हलचल तेज है। वसुंधरा राजे की सक्रियता और भजनलाल शर्मा की जवाबी तेज़ी दोनों संकेत दे रहे हैं कि 2028 की चुनावी रणनीति का खाका अभी से खींचा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि इस सियासी शतरंज में अगला मोहरा कौन चलता है?

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