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रंग को लेकर पत्नी को चिढ़ाना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: 30 साल बाद पति बरी

मुंबई 26 जुलाई 2025 : करीब 30 साल पहले पत्नी की आत्महत्या के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को मुंबई हाईकोर्ट ने निर्दोष करार देते हुए राहत दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रंग को लेकर ताना मारना, दूसरी शादी की धमकी देना या घरेलू झगड़े किसी भी तरह से आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माने जा सकते।

क्या था मामला?

  • घटना जनवरी 1995 की है जब सातारा जिले की एक महिला ने बोरीवली की एक कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
  • महिला ने आत्महत्या से पहले अपने माता-पिता को बताया था कि उसका पति और ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते हैं।
  • पति पर IPC की धारा 498A (क्रूरता) और धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज कर उसे पांच साल की सजा सुनाई गई थी।

हाईकोर्ट का फैसला:

  • न्यायमूर्ति एस. एम. मोडक ने सुनवाई करते हुए कहा कि: “रंग पर टिप्पणी करना या दूसरी शादी की धमकी देना घरेलू जीवन के झगड़ों का हिस्सा है, इसे गंभीर अपराध नहीं माना जा सकता।”
  • कोर्ट ने यह भी कहा: “हर वैवाहिक झगड़ा अपराध नहीं होता। जब तक महिला को अत्यधिक मानसिक प्रताड़ना नहीं दी जाती, जिसे वह सहन न कर सके, तब तक उसे आपराधिक मामला नहीं कहा जा सकता।”
  • कोर्ट ने माना कि सरकारी वकील आत्महत्या और कथित प्रताड़ना के बीच सीधा संबंध साबित नहीं कर सके। इसलिए निचली अदालत ने कानून के मूल सिद्धांतों की अनदेखी की थी।

निष्कर्ष:

इस फैसले के साथ आरोपी को तीन दशकों बाद न्याय मिला, और कोर्ट ने उसकी सजा रद्द कर उसे बरी करने के आदेश दे दिए।

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