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पंजाब में मकान और दुकानों पर बड़ा फैसला, सरकार ने जारी की अधिसूचना

चंडीगढ़ 19 जुलाई 2025 पंजाब में घरों, दुकानों और फ्लैटों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, पंजाब सरकार ने शहरी निगमों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के दावे के साथ घरों, फ्लैटों और दुकानों पर लागू प्रॉपर्टी टैक्स में 5% की बढ़ोतरी कर दी है। ये नई दरें 1 अप्रैल 2025 से लागू मानी जाएंगी। सरकार का कहना है कि इस कदम से नगर निगमों की आमदनी बढ़ेगी और शहरी विकास योजनाओं को नई ताक़त मिलेगी। मल्टीप्लेक्सों को इस टैक्स बढ़ोतरी से बाहर रखा गया है। इस संबंध में स्थानीय सरकार विभाग द्वारा अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

यह फैसला क्यों लेना पड़ा?
केंद्र सरकार ने पंजाब को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 0.25% अतिरिक्त कर्ज़ लेने की इजाज़त उसी शर्त पर दी है, जब यह प्रॉपर्टी टैक्स बढ़े। केंद्र के हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय द्वारा शहरी विकास योजनाओं के लिए फंडिंग हासिल करने के लिए भी यह टैक्स बढ़ाना अनिवार्य था। सरकार का कहना है कि इससे नगर निगमों को वित्तीय आत्मनिर्भरता मिलेगी और नए विकास प्रोजेक्ट सफल होंगे।

किन संपत्तियों पर लागू होगा टैक्स?
•    रिहायशी संपत्तियां: सिर्फ 125 वर्ग गज से अधिक के घरों और 50 वर्ग गज से अधिक के फ्लैटों पर टैक्स लागू होगा।
•    डबल स्टोरी घर: यदि 60 गज से अधिक के घर दो मंज़िला है, तो वे भी टैक्स के दायरे में आएंगे।
•    व्यावसायिक इमारतें: दुकानों, रेस्टोरेंट्स, प्राइवेट अस्पतालों, सोशल क्लबों और खेल मैदानों पर भी यह टैक्स लागू रहेगा।
•    मल्टीप्लेक्स: टैक्स बढ़ोतरी से बाहर रखे गए हैं।

प्रॉपर्टी टैक्स कैसे भरना होगा?
1.    ऑनलाइन प्रक्रिया: पंजाब सरकार के ‘M Seva’ पोर्टल पर लॉग इन करें।
2.    आवश्यक जानकारी: मोबाइल नंबर, नाम, शहर दर्ज करने पर OTP जनरेट होगा।
3.    संपत्ति की जानकारी: प्रॉपर्टी ID, पुरानी प्रॉपर्टी ID, मोहल्ला, दरवाज़ा नंबर आदि दर्ज करने के बाद पोर्टल खुद ही टैक्स की राशि दिखा देगा।
4.    भुगतान के तरीके: डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग के जरिए ऑनलाइन भुगतान किया जा सकेगा।

सरकार का दावा और जनता की चिंता
सरकार का कहना है कि इस बढ़ोतरी से शहरी क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे को मजबूत किया जाएगा और नए विकास प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे। हालांकि, आम लोगों का मानना है कि पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबे मध्यवर्ग पर यह फैसला आर्थिक दबाव और बढ़ाएगा।

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