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“गद्दार” टिप्पणी पर देसाई-परब आमने-सामने, रिकॉर्ड से हटाए गए विवादित शब्द

10 जुलाई 2025 : महाराष्ट्र विधानपरिषद में ‘गद्दार’ शब्द पर बवाल, देसाई-परब के बीच तीखी नोकझोंक, रिकॉर्ड से हटाए गए शब्द

महाराष्ट्र विधानमंडल का पावसाळी अधिवेशन जारी है और गुरुवार को विधानपरिषद में शिवसेना ठाकरे गुट के विधायक अनिल परब और शिंदे गुट के नेता शंभुराज देसाई के बीच तीखी बहस छिड़ गई। विवाद की वजह बना “गद्दार” शब्द, जिसे लेकर सदन का माहौल गर्म हो गया और कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।


कैसे शुरू हुआ विवाद?

मुंबई में मराठी भाषियों को घर देने के मुद्दे पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान अनिल परब ने सवाल किया,
“क्या मराठी लोगों के लिए घर देने का कानून बनेगा?”

इसके जवाब में शंभुराज देसाई ने पलटवार करते हुए कहा,
“2019 से 2022 तक आपकी सरकार थी, तब आपने ऐसा कोई कानून क्यों नहीं बनाया?”

इस पर अनिल परब ने शंभुराज देसाई को ‘गद्दार’ कहा, जिससे देसाई भड़क उठे और कहा:
“आप गद्दार किसे कह रहे हैं? उस समय आप बूट चाट रहे थे।”


सदन की कार्यवाही रोकी गई, विवादित शब्द हटाए गए

विवाद बढ़ने के कारण विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी और आदेश दिया कि
“गद्दार” और “बूट चाटना” जैसे विवादास्पद शब्दों को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए।

बाद में दोनों पक्षों के नेताओं को शांत कराया गया और सदन की कार्यवाही फिर से शुरू की गई।


⚠️ देसाई ने दिया इशारा

घटना के बाद मीडिया से बातचीत में शंभुराज देसाई ने कहा,
“मैं सिर्फ यह बता रहा था कि 2021-22 के दौरान मराठी लोगों को घर देने की कोई नीति नहीं थी। इसी बात से परब नाराज़ हो गए और मुझे ‘गद्दार’ कहा।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि,
“अगर उन्होंने मुद्दे को और बढ़ाया, तो हम भी दो गुना जवाब देंगे। हम भी बालासाहेब ठाकरे के असली शिवसैनिक हैं।”


निष्कर्ष

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि शिवसेना के दोनों गुटों के बीच टकराव लगातार जारी है, और ‘गद्दार’ जैसे शब्द अब राजनीतिक शब्दावली का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
हालांकि, विधानपरिषद की गरिमा बनाए रखने के लिए इन शब्दों को रिकॉर्ड से हटाना जरूरी माना गया।

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