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भगवान जगन्नाथ की मौसी कौन? जानें क्यों 7 दिन तक रुकते हैं उनके घर

28 जून 2025 : जगन्नाथ रथ यात्रा का आज दूसरा दिन है. 27 जून शुक्रवार से जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ है. आज जगन्नाथ रथ यात्रा को आ​गे बढ़ाया जा रहा है. जय जगन्नाथ के जयघोष से पुरी नगरी गूंज उठी है. भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाएगा. जगन्नाथ पुरी मंदिर से गुंडिचा मंदिर लगभग 2.5 किलोमीटर दूर है. गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर कहा जाता है, जहां पर भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ 7 दिनों तक विश्राम करेंगे, उसके बाद 9वें दिन वे श्री मंदिर यानि पुरी के मुख्य मंदिर की ओर लौटते हैं, उसे बहुदा यात्रा कहते हैं.

कौन हैं भगवान जगन्नाथ की मौसी?

भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर गुंडिचा मंदिर है. जहां पर भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ हर साल जाते हैं. मंदिर से जुड़ी कुछ किंवदंतियों के अनुसार, राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी रानी गुंडिचा थीं. राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया था, जिसे रानी गुंडिचा के नाम पर रखा गया. उनको ही भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता है.

गुंडिचा मंदिर की कथा

किंवदंतियों के अनुसार, एक बार एक बढ़ई ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां बनाईं. उन मूर्तियों को देखकर राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी रानी गुंडिचा बहुत खुश हुई और उन पर मोहित हो गईं. तब उन्होंने राजा इंद्रद्युम्न से कहा कि वे एक मंदिर का निर्माण कराएं, जहां पर रथ यात्रा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के समय इन ​मूर्तियों को लेकर जाया जाए.

कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ जब प्रकट हुए थे, उन्होंने रानी गुंडिचा को मौसी कहकर संबोधित किया था. उन्होंने रानी गुंडिचा से कहा था कि आप मेरी माता के जैसी हैं, इसलिए आज से आप मेरी मौसी गुंडिचा देवी हो गईं. वर्ष में एक बार आपसे मिलने आऊंगा. भगवान जगन्नाथ के वरदान से ही वह मंदिर गुंडिचा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. गुंडिचा मंदिर को शक्तिपीठ के समान ही मान्यता प्राप्त है.

गुंडिचा मंदिर में 7 दिन रहते हैं भगवान जगन्नाथ

भगवान जगन्नाथ के आगमन पर गुंडिचा मंदिर में उत्सव का आयोजन होता है. उनके आदर सत्कार के लिए कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. भगवान जगन्नाथ इस मंदिर में 7 दिनों तक विश्राम करते हैं. वे तरह तर​क के पकवानों का आनंद लेते हैं. 9वें दिन भगवान जगन्नाथ वापस अपने श्री मंदिर लौटते हैं. फिर उनके विग्रह को गर्भ गृह में रखा जाता है.

गुंडिचा मंदिर में 7 दिन ही होती है पूजा
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुंडिचा मंदिर में केवल 7 दिन ही पूजा होती है. वह भी तब, जब भगवान जगन्नाथ यहां पर विश्राम करते हैं. इन 7 दिनों को छोड़कर गुंडिचा मंदिर में किसी भी देवी और देवता की पूजा नहीं की जाती है. हालांकि यह मंदिर पूरे सालभर खुला रहता है. जब भी आप पुरी के जगन्नाथ मंदिर जाएं तो सबसे पहले भगवान जगन्नाथ के दर्शन करें, उसके बाद गुंडिचा मंदिर आएं.

5 जुलाई से शुरू होगी बहुदा यात्रा
जगन्नाथ रथ यात्रा और बहुदा यात्रा में शामिल होने लोगों के लिए सौभाग्य की बात है. इस साल गुंडिचा मंदिर से बहुदा यात्रा का प्रारंभ 5 जुलाई शनिवार को होगा. यहां से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा वापस अपने मुख्य मंदिर जाएंगे. वहां पर सुना बेशा, अधरा पना और नीलाद्रि बिजय जैसी रस्में और अनुष्ठान किए जाएंगे. उसके बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ गर्भ गृह में निवास करेंगे

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