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पंजाब जल संसाधनों के पुनर्भरण और संरक्षण के लिए पहली बार एकीकृत राज्य जल योजना अपनाएगा

चंडीगढ़, 20 जून

पंजाब के इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भूजल संरक्षण और जल स्तर को ऊपर उठाने के लिए “एकीकृत सूबाई जल योजना” के तहत 14 सूत्रीय एक्शन प्लान को मंजूरी दे दी है।

मुख्यमंत्री ने जल स्रोत विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि यह योजना सभी प्रमुख विभागों से विचार-विमर्श के बाद बहुत ही सूझबूझ से तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य की स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि कुल 153 में से 115 ब्लॉकों में भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है। इस योजना का पूरा ध्यान भूजल संरक्षण और विभिन्न उद्देश्यों के लिए नहरों के पानी के उपयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि हर साल औसतन 0.7 मीटर की दर से जल स्तर गिर रहा है, क्योंकि 5.2 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी ज़मीन से निकाला जा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए खेती में भूजल की मांग को कम करने, सिंचाई तकनीकों में सुधार करने, और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्य टिकाऊ जल स्रोतों की खोज, जल गहराई का सर्वेक्षण और सतही जल के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे। सरकार मौजूदा सतही जल संरचना के विस्तार और पुनर्बहाली पर पहले से ही जोर दे रही है। उन्होंने बताया कि 30-40 साल से बंद पड़ी करीब 63,000 किलोमीटर रजवाहियों को पहले ही पुनर्जीवित कर दिया गया है। इसके अलावा, 545 किलोमीटर लंबी 79 नहरों को भी फिर से चालू किया गया है।

इस योजना के तहत खेतों में जल के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए प्रभावी सिंचाई योजनाएं अपनाई जाएंगी, जिससे लगभग 15,79,379 हेक्टेयर भूमि को पारंपरिक सिंचाई के बजाय ड्रिप, स्प्रिंकलर और अन्य जल-बचत तकनीकों के अंतर्गत लाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राथमिकता उन क्षेत्रों को दी जाएगी, जहां कार्यशील हेड उपलब्ध हो और रजवाहियों की जगह पाइपलाइन के ज़रिए पानी पहुंचाया जा सके। नहरों की मरम्मत और सतही जल के समुचित, समान और टिकाऊ उपयोग को सुनिश्चित करने पर ज़ोर रहेगा।

उन्होंने कहा कि अतिरिक्त उपलब्ध सतही जल को नहरों और डिस्ट्रीब्यूटरीज़ से सीधे जुड़े तालाबों में पहुंचाया जाएगा और वहाँ से लिफ्ट सिंचाई प्रणाली द्वारा खेतों तक ले जाया जाएगा। इसके लिए चेक डैम और नए तालाबों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, जल उपयोगकर्ता समितियां बनाकर भागीदारी आधारित जल प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये समितियां किसानों की सीधी भागीदारी के साथ जल प्रबंधन और वितरण से जुड़े मुद्दों की निगरानी करेंगी। इससे नहरों की सफाई, जल की बर्बादी रोकने और जल मार्गों की देखभाल में मदद मिलेगी। उद्योगों को भी नहरी जल की आपूर्ति की जाएगी, जिससे भूजल पर दबाव कम होगा।

पंजाब के भूजल की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अध्ययन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में भूजल रिचार्ज और खपत के बीच बड़ा अंतर है, इसलिए एक दीर्घकालिक नीति बनाना आवश्यक है। यह योजना बेसिन प्रबंधन पर आधारित होगी, क्योंकि पंजाब में विभिन्न प्रकार की मिट्टी वाले क्षेत्र हैं।

दक्षिण-पश्चिम पंजाब में बाढ़ की समस्या है, जबकि कंडी क्षेत्र में भूजल बहुत गहरा है। इसलिए पूरे राज्य के लिए एक समान योजना नहीं बन सकती, इसे बेसिनों में विभाजित कर तैयार किया जाएगा। योजना के तहत राज्य को अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा जाएगा, जिससे जल प्रवाह, मिट्टी कटाव और आवश्यक पोषक तत्वों का संरक्षण किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना में बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके तहत बाढ़ मॉडलिंग और मैपिंग, फ्लड प्लेन ज़ोनिंग और जनभागीदारी से संबंधित अध्ययन किए जाएंगे। इसके अलावा बांस के पौधे, वेटिवर घास, स्रोत नियंत्रण, चेक डैम और बांध निर्माण के कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। घग्गर नदी में बाढ़ के पानी को स्टोर करने के लिए चोक और ड्रेन पॉइंट्स की पहचान कर चेक डैम बनाए जाएंगे।

इन चेक डैमों से पानी को उन ब्लॉकों के मौजूदा तालाबों में डाला जाएगा, जिनसे घग्गर गुजरती है, या फिर नए तालाब बनाए जाएंगे। इस पानी को टाइफा पौधे और नैनो बबल तकनीक से साफ किया जाएगा और सौर ऊर्जा आधारित पंपों तथा भूमिगत पाइप सिस्टम के माध्यम से खेतों में पहुंचाया जाएगा। इसके लिए योजना में CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, जल संरचना और माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियां की जाएंगी। उन्होंने कहा कि योजना का उद्देश्य स्कूली शिक्षा, युवाओं, किसानों, NGOs, मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से जल संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है।

साथ ही, कम मांग वाले समय में नहरों के टेल तक जल रिचार्ज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना भी योजना का हिस्सा होगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि धान और अधिक पानी खपत करने वाली किस्मों के क्षेत्र को खेती विविधिकरण के तहत मक्का, कपास, बासमती और अन्य संभावित फसलों की ओर मोड़ा जाएगा। भूजल की मांग कम करने पर भी योजना में विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने दोहराया कि राज्य के लिए पानी की हर बूंद कीमती है और पंजाब सरकार इसके संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

इस बैठक में कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, हरदीप सिंह मुंडियां और तरुणप्रीत सिंह सौंद भी मौजूद थे।

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