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Punjab में DL धारकों की मुश्किल बढ़ी, बना बड़ा झंझट

लुधियाना 20 जून 2025 सरकार द्वारा लाइसैंस प्रक्रिया को पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए बनाए गए गवर्नमैंट ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक अब खुद ही अव्यवस्थाओं का केंद्र बनते जा रहे हैं। लुधियाना के इस ट्रैक पर आए दिन कभी कैमरे खराब हो जाते हैं, तो कभी सर्वर डाऊन रहता है। कई बार स्टाफ की अनुपलब्धता भी देखने को मिलती है। इन तकनीकी और प्रशासनिक खामियों का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है आम आवेदकों को, जो दूर-दराज से समय निकालकर यहां पहुंचते हैं।

बार-बार लौटने को मजबूर आवेदक

कई आवेदकों को एक ही टैस्ट के लिए 3 से 4 बार अप्वाइंटमैंट लेकर आना पड़ रहा है। इनमें से कुछ लोग अहमदगढ़, जगराओं, शिमलापुरी, चीमा चौक जैसे इलाकों से हैं जो या तो अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से छुट्टी लेकर आते हैं या अपनी दैनिक मजदूरी छोड़कर।

पीड़ितों की ज़ुबानी

-शिमलापुरी निवासी अशोक कुमार ने बताया, “मैं पिछले दो हफ्तों में तीन बार ट्रैक पर आ चुका हूं। हर बार कोई न कोई बहाना बना दिया जाता है – कभी कैमरा बंद, कभी सर्वर नहीं चल रहा। मैं एक छोटी सी किराने की दुकान चलाता हूं। जब भी छुट्टी लेकर आता हूं, दिहाड़ी का नुकसान होता है। अब तो डर लगने लगा है कि लाइौंस मिलेगा भी या नहीं।” 

-अहमदगढ़ निवासी गुरकंवल सिंह ने कहा, “इतनी दूर से बाइक चलाकर आया था। सोचा था कि आज टैस्ट देकर काम निपटा लूंगा, लेकिन यहां बताया गया कि कैमरे बंद हैं और वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं हो पाएगी, इसलिए टैस्ट नहीं लिया जा सकता। मेरी फीस तो कब की भर दी गई थी, अब दोबारा आना पड़ेगा। पैट्रोल, समय और काम – सबका नुकसान हो रहा है।”

-राजू निवासी जगराओं ने कहा, “मैं दिहाड़ी मजदूरी करता हूं। दो बार छुट्टी लेकर टैस्ट देने आया, लेकिन दोनों बार या तो स्टाफ नहीं था या सिस्टम नहीं चल रहा था। सरकार कहती है कि सब डिजिटल हो गया, मगर यहां तो नैट ही नहीं चलता।”

-हरप्रीत सिंह निवासी चीमा चौक ने बताया, “यह सब ड्रामा लगता है। कुछ समय पहले नए कैमरे लगाए गए थे और अब कहा जा रहा है कि खराब हो गए। क्या कैमरे सिर्फ दिखावे के लिए लगाए गए थे? सरकार पैसे खर्च करती है, मगर उसके रख-रखाव का कोई हिसाब नहीं। हर बार आने पर नई परेशानी सामने आ जाती है।”

-देविंदर सिंह निवासी ग्यासपुरा ने कहा, “मैंने ऑनलाइन स्लॉट बुक किया था, टाइम पर पहुंचा, मगर कहा गया कि सिस्टम डाऊन है। 2 घंटे इंतजार करवाया और फिर बोला कि टैस्ट नहीं हो पाएगा।”

-अमृतपाल सिंह निवासी दुगरी ने कहा, “मेरे 2 भाई पहले ही 3 बार आ चुके हैं, अब मेरी बारी है। डर लग रहा है कि मैं भी बिना टैस्ट दिए ही वापस लौट जाऊंगा। जिस सरकारी सिस्टम से हमें सहूलियत मिलनी चाहिए, वह अब बोझ बनता जा रहा है।”

कंपनी को जल्द समस्या ठीक करने संबंधी कहा है: ए.टी.ओ.

इस पूरे मामले में जब सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (ए.टी.ओ.) दीपक कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने समस्या की पुष्टि करते हुए कहा, “नैटवर्क में परेशानी है। हमने टैक्निकल कंपनी को इस समस्या को जल्द ठीक करने के लिए बोल दिया है।”

आवेदकों को हो रहा दोहरा नुकसान

1. समय और पैसों की बर्बादी : बार-बार अप्वाइंटमैंट लेना, ट्रैक तक आना, दिन का काम छोड़ना – हर चीज का खर्च आवेदक की जेब से जा रहा है।
2. मानसिक तनाव : जब बार-बार कोशिश करने के बावजूद प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तो लोगों में निराशा मानसिक तनाव पैदा होता है।
3. फीस की वैधता पर सवाल : आवेदकों की तरफ से यह भी मांग उठ रही है कि जब टैस्ट नहीं हो पा रहा तो फीस का क्या होगा? क्या उन्हें रिफंड मिलेगा या दोबारा फीस देनी होगी?

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