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जवानी की 7 गलतियां देती हैं जीवनभर का दुख, जानें चाणक्य की नीतियां

08 जून 2025 : हर इंसान की जिंदगी में जवानी का समय बहुत खास होता है. इस उम्र में जोश, उम्मीदें और आत्मविश्वास बहुत ज्यादा होता है. हर किसी को लगता है कि वह सब कुछ कर सकता है और उसे किसी की सलाह की जरूरत नहीं है. यही वजह है कि कई बार इस उम्र में हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो बाद में पूरी जिंदगी तक पछताना पड़ता है. जवानी का समय अगर सही दिशा में लगाया जाए तो यह सफलता की सीढ़ी बन सकता है, लेकिन अगर इसमें लापरवाही की गई तो यही उम्र सबसे बड़ा नुकसान भी कर सकती है. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में इस उम्र से जुड़ी कई जरूरी बातें बताई हैं. उन्होंने बताया है कि युवावस्था में की गई कुछ गलती जीवन को पूरी तरह से बदल देती है, और कई बार दुखों की वजह बन जाती है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.

1. घमंड करना और खुद को सबसे ऊपर समझना
युवावस्था में अक्सर लोग अपने रूप, ताकत, डिग्री या पैसे पर घमंड करने लगते हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार, घमंड किसी का भी नहीं टिकता, और जो जितना ऊंचा घमंड करता है, उसका गिरना भी उतना ही जोरदार होता है. इसीलिए जमीन से जुड़कर चलना हमेशा सही रहता है.

2. बुरी संगत में फंस जाना
इस उम्र में लोग जल्दी दोस्ती कर लेते हैं और कई बार बिना सोचे समझे गलत लोगों के साथ उठने-बैठने लगते हैं. आचार्य चाणक्य का कहना है कि जैसे दूध में नींबू गिरते ही दही बन जाता है, वैसे ही बुरी संगत अच्छे इंसान को भी बिगाड़ सकती है. इसलिए सोच-समझकर संगत चुनो.

3. समय बर्बाद करना
युवावस्था में समय की सबसे ज्यादा कीमत होती है. अगर इस समय को मोबाइल, मस्ती या आराम में बर्बाद कर दिया गया, तो आगे चलकर कुछ भी नहीं बचता.आचार्य चाणक्य की नीति कहती है कि जो समय को संभालता है, समय उसका साथ देता है.

4. भावनाओं में बह जाना
इस उम्र में लोग जल्दी गुस्से, प्यार या दुख में बह जाते हैं और बिना सोचे फैसले ले लेते हैं. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भावनाएं जरूरी हैं, लेकिन उनके साथ विवेक होना भी जरूरी है. बिना सोच के लिया गया फैसला बाद में पछतावे की वजह बनता है.

5. कर्म छोड़कर भाग्य के भरोसे बैठ जाना
कई लोग सोचते हैं कि भाग्य से सब कुछ मिल जाएगा, लेकिन आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भाग्य उन्हीं का साथ देता है जो मेहनत करते हैं. अगर मेहनत नहीं करोगे तो किस्मत भी साथ छोड़ देगी

6. अनुशासन और नियमों की अनदेखी
युवावस्था में अगर कोई चीज सबसे ज्यादा जरूरी है तो वह है अनुशासन. देर से उठना, कोई प्लान न बनाना, काम को टालना- ये सब आदतें धीरे-धीरे इंसान को पीछे कर देती हैं. चाणक्य कहते हैं कि बिना अनुशासन के सफलता मिलना मुश्किल है.

7. भविष्य की प्लानिंग न करना
आज के मजे में जीना ठीक है लेकिन कल के लिए सोचना और तैयारी करना भी जरूरी है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो इंसान आगे की सोचता है वही सच्चा ज्ञानी है. अगर आज आपने अपनी पढ़ाई, काम या जीवन का प्लान नहीं किया, तो कल पछताना पड़ेगा.

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