03 जून 2025 : महाभारत में हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे, लेकिन उनके भाई पांडु और दासी पुत्र विदुर के साथ ऐसा नहीं था, जबकि तीनों के पिता एक ही थे, माताएं अलग-अलग थीं. दरअसल जब धृतराष्ट्र का जन्म हुआ था, उससे पहले ही उनके पिता ने भविष्यवाणी कर दी थी कि वे अंधे पैदा होंगे. इसका कारण था उनकी माता के गर्भ धारण के समय की ऐसी घटना, जो धृतराष्ट्र के नेत्रहीन होने की वजह बन गई. आइए जानते हैं महाभारत की इस घटना के बारे में.
कौन थीं धृतराष्ट्र की माता?
धृतराष्ट्र की माता का नाम अंबिका था. उनकी सास सत्यवती की इच्छा पर अंबिका ने अपने देवर महर्षि व्यास से नियोग विधि से धृतराष्ट्र को जन्म दिया था. उस समय में पति के न होने पर नियोग विधि से संतान उत्पत्ति की अनुमति थी. यह केवल संतान उत्पत्ति के लिए ही किया जाता था.
गर्भ धारण के समय डर गईं अंबिका
महाभारत के अनुसार, सत्यवती ने अंबिका को बताया था कि उनके देवर महर्षि व्यास महल में आएंगे. बताए गए समय पर महर्षि व्यास अंबिका के महल में गए. उस समय महर्षि व्यास के शरीर पर घी चुपड़ा हुआ था, उनका चित्त संयमित था. उस समय महल में अनेकों दीपक जगमगा रहे थे. बड़ी बड़ी जटाओं वाले महर्षि व्यास जी काले रंग के थे. आंखें चमक रही थीं और दाढ़ी-मूंछ भूरे रंग की थी.
महर्षि व्यास जी जब नियोग के लिए अंबिका के पास गए तो उनको देखकर वह डर गईं. उन्होंने अपनी दोनों आंखें बंद कर ली. माता की आज्ञा पर महर्षि व्यास ने अंबिका के साथ समागम किया, लेकिन डर के मारे अंबिका ने महर्षि व्यास जी के तरफ अच्छे से देखा नहीं.
महर्षि व्यास ने कर दी थी धृतराष्ट्र के अंधे होने की भविष्यवाणी
अंबिका से समागम के बाद जब महर्षि व्यास जी महल से निकले तो सत्यवती ने संतान के बारे में जानना चाहा. तब महर्षि व्यास ने कहा कि मां! वह बालक 10 हजार हाथियों के समान बलवान होगा. वह विद्वान, बलशाली, राजर्षियों में श्रेष्ठ, सौभाग्यशाली, महापराक्रमी और बुद्धिमान होगा. उसके भी 100 पुत्र होंगे. लेकिन अपनी मातां अंबिका के दोष के कारण वह बालक अंधा ही होगा.
महर्षि व्यास की यह भविष्यवाणी सच हो गई. जब धृतराष्ट्र का जन्म हुआ तो वे नेत्रहीन थे. समागम के समय माता अंबिका के आंख बंद कर लेने की वजह से धृतराष्ट्र जन्म से अंधे हो गए.
फिर हुआ पांडु और विदुर का जन्म
महर्षि व्यास ने बताया कि बालक अंधा होगा तो सत्यवती ने कहा कि कुरुवंश के लिए दूसरा राजा दो. जो समस्त कुल का संरक्षक और कुल बढ़ाने वाला हो. धृतराष्ट्र के जन्म के बाद सत्यवती ने महर्षि व्यास से कहा कि वे पुत्रवधु अंबालिका के साथ समागम करें. उनके आग्रह पर महर्षि व्यास उनके महल में गए. अंबालिका भी महर्षि व्यास को देखकर कांतिहीन और पांडुवर्ण यानी पीले रंग की हो गईं.
अंबालिका से महर्षि व्यास ने कहा कि मुझे देखकर तुम पांडुवर्ण की हो गई, इसलिए तुम्हारा पुत्र पांडु रंग का होगा और उसका नाम भी पांडु होगा. जब वे महल से जाने लगे तो सत्यवती ने फिर महर्षि व्यास से पूछा तो उन्होंने बताया कि बालक पांडु रंग का होगा. तब उन्होंने दूसरा पुत्र देने को कहा. सत्यवती ने अंबिका को फिर से महर्षि व्यास से समागम के लिए कहा, लेकिन अंबिका ने अपनी जगह पर सुंदर दासी को भेज दिया.
महर्षि व्यास के आने पर दासी ने उनका स्वागत किया. महर्षि व्यास ने उसके साथ समागम किया और उससे संतुष्ट हुए. महर्षि व्यास ने उससे कहा कि अब तुम दासी नहीं रहोगी. तुम्हारे गर्भ में एक श्रेष्ठ बालक आया है. वह संसार में धर्मात्मा और सभी विद्वानों में श्रेष्ठ होगा. वही बालक विदुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इस प्रकार से धतृराष्ट्र, पांडु और विदुर के पिता एक ही थे, ऐसे में ये तीनों भाई हुए. विचित्रवीर्य के क्षेत्र में महर्षि व्यास जी से ये 3 पुत्र हुए.
