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विदुर नीति: धरती के 6 सुख और दुखी लोगों के 6 लक्षण

15 मई 2025 महाभारत में महात्मा विदुर एक ज्ञानी, धर्मात्मा और राजनीति के ज्ञाता थे. उन्होंने ज्ञानपरक ऐसी बातें बताई हैं, जो आज के समय में भी बहुत उपयोगी हैं. धृतराष्ट्र जब पुत्र मोह में अंधे होकर पांडवों के साथ अन्याय कर रहे थे तो उनके मंत्री महात्मा विदुर ने उनका मार्गर्दशन करने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि इस धरती के 6 सुख कौन से हैं? दुखी लोगों के 6 लक्षण कौन से होते हैं? विदुर नीति से इनके बारे में जानते हैं.

धरती के 6 सुख

1. स्वस्थ्य रहना: विदुर ने बताया है कि जो व्यक्ति निरोगी है, उसके पास संसार का पहला सुख है. आप सेहतमंद हैं, तो इससे बड़ा धन कुछ भी नहीं. कोई भी कार्य करने के लिए सेहतमंद होना जरूरी है.

2. कर्ज मुक्त रहना: जो व्यक्ति कर्ज से मुक्त है, जिसे पर किसी भी प्रकार का कोई ऋण नहीं है, वो इस धरती का सुखी व्यक्ति है. पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण होते हैं, जिससे मुक्ति के उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं.

3. स्वदेश में रहना: यदि आप परदेस में नहीं रहते हैं, अपने ही देश में निवास करते हैं तो यह धरती का तीसरा सुख है.

4. सज्जन लोगों का साथ होना: महात्मा विदुर कहते हैं ​कि जिन लोगों को अच्छे लोगों का साथ प्राप्त है, जो सज्जन लोगों के सानिध्य में रहते हैं, उनसे सुखी कोई नहीं है. ऐसे लोगों को अच्छा ज्ञान प्राप्त होता है. सज्जनों के बीच में उनका विकास होता है.

5. निर्भय रहना: विदुर का कहना है ​कि हर व्यक्ति का निर्भय होना जरूरी है. इस संसार में जो व्यक्ति निडर है, उसे धरती का पांचवा सुख प्राप्त है. निडर होने का तात्पर्य यह है कि उसका आत्मविश्वास और मनोबल मजबूत हो. किसी काम को करने से डरता न हो. यदि डर होगा तो विजय प्राप्त नहीं होगी.

6. अपनी वृत्ति से जीविका चलाना: धरती पर जो व्यक्ति अपनी वृत्ति से जीविका चलाता है, वह सुखी है. इस वजह से लोगों को अपने जीवन यापन के लिए कोई विशिष्ट कार्य, कला या पेशा चुनना चाहिए. इससे वह अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति कर सकता है.

दुखी लोगों के 6 लक्षण क्या हैं?

1. ईर्ष्या करना: विदुर के अनुसार, जो लोग दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, वे स्वयं दुखी होते हैं. लोगों को दूसरे से प्रेम करना चाहिए. ईर्ष्या स्वयं की अच्छाई को खत्म कर देती है.

2. घृणा करना: किसी को किसी प्रकार का कोई कष्ट है, रोग है, तो उससे घृणा न करें. घृणा की भावना स्वयं के दुख का कारण बनती है.

3. असंतोष: विदुर बताते हैं कि जिस व्यक्ति में किसी भी चीज के प्रति संतोष नहीं है, वह संतुष्ट नहीं है तो वह दुखी है. ऐसे लोग कितना भी कुछ प्राप्त कर लें, वे सुखी नहीं होंगे. हमेशा दुखी ही रहेंगे.

4. क्रोध करना: य​दि आप दूसरों पर अकारण या कारणवश क्रोध करते हैं तो आपको स्वयं पश्चाताप होगा. क्रोधी व्यक्ति स्वयं सुखी नहीं होता है, यह दुख का लक्षण है.

5. हमेशा सशंकित रहना: महात्मा विदुर के अनुसार, जिस व्यक्ति के मन में हमेशा शंकाएं ही जन्म लेती हैं, वह कभी सुखी नहीं हो सकता. ऐसे लोग हमेशा दुखी रहेंगे, ये सोचकर कि कहीं उनके साथ गलत न हो जाए. ऐसा या फिर वैसा न हो जाए. दूसरों पर भरोसा नहीं करेंगे और स्वयं शंकाओं में जीते रहेंगे.

6. दूसरे पर आश्रित रहना: जो व्यक्ति दूसरों पर निर्भर होकर अपना जीवन व्यतीत करता है, वह भी दुखी ही होता है. उसे हर काम या बात के लिए अपने मालिक पर ही निर्भर रहना पड़ता है. हर व्यक्ति को स्वावलंबी यानि आत्मनिर्भर होना चाहिए. यह आपके आत्मसम्मान के लिए भी जरूरी है.

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