• Fri. Dec 5th, 2025

आधार-पैन कार्ड को लेकर अलर्ट, दस्‍तावेजों के मिसयूज का खतरा

पंजाब 21 अप्रैल 2025 :  आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट सहित जरूरी दस्तावेजों को लेकर चिंताभरी खबर सामने आ रही है। दरअसल, पंजाब के जिला जालंधर के जिला प्रशासनिक काम्पलैक्स में हजारों लोगों के जरूरी व गोपनीय दस्तावेज बिखरे पड़े है, जो कि  मिसयूज हो सकते है।  

जानकारी के अनुसार डिजिटल युग में जब नागरिक अपने दस्तावेजों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए सरकार के बनाए गए प्लेटफॉर्म पर भरोसा करते हैं जबकि सरकारी दफ्तरों में दस्तावेजों को कबाड़ में फैंक दिया गया है, जोकि चिंताजनक है। काम्पलैक्स में डिप्टी कमिश्नर कार्यालय, एडीशनल डिप्टी कमिश्नर, एस.डी.एम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर और कई अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक विभागों में लोगों द्वारा सबमिट की गई फाइलें और गोपनीय दस्तावेज खुले में रखे सड़ रहे हैं। इन दस्तावेजों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, इंकम सर्टीफिकेट, फोटो, रैजिडैंस प्रूफ और अन्य निजी कागजात इन कबाड़ बने कूड़े के ढेरों में शामिल हैं।

प्रशासनिक काम्पलैक्स में हर विभाग में हजारों नागरिक अपनी फाइलें विभिन्न सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए जमा करते हैं, जिनमें जाति, मैरिज, रैजिडैंट व इंकम सर्टीफिकेट के अलावा ड्राइविंग लाइसैंस, जमीन की रजिस्ट्री, सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन, पैंशन स्कीम के अलावा कोर्ट केसों सहित अन्य कामों से संबंधित फसलें शामिल होती हैं, लेकिन आज ये रिकार्ड फाइल न तो अलमारियों में हैं, न ही कहीं सुरक्षित स्थानों में रखी गई है। बल्कि बाथरूमों के बाहर, सीढ़ियों के नीचे, दीवारों के किनारे, टूटी अलमारियों के ऊपर बोरों में बंद और खुले में पड़ी दिखाई दे रही है। ऐसा ही नजारा केवल एक स्थान पर नहीं बल्कि जिला प्रशासनिक काम्पलैक्स की 4 मंजिला इमारत में हर जगह देखने को मिल रहा है। एस.डी.एम-1 के आफिस के साथ पड़ी अलमारियों व सीढ़ियों में सैकड़ों फाइलें कबाड़ बना कर रखी गई है। इतना ही नहीं इन फाइलों में गत महीनों हुए नगर निगम चुनाव दौरान चुनाव लड़ने वाले आवेदकों के दस्तावेजों की फाइलें भी शामिल हैं। ऐसा ही हाल काम्पलैक्स में विभिन्न अधिकारियों से संबंधित विभागों की ब्रांचों के बाहर भी देखने को मिल रहा है।

गलत इस्तेमाल कर कोई भी व्यक्ति फर्जी पहचान बनाकर अपराधों को दे सकता है अंजाम
जिला 
प्रशासन में हरेक स्तर के अधिकारी और कर्मचारी शायद इस बात से अंजान है कि आधार कार्ड जैसी पहचान संख्या के लीक होने से बैंक खातों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। पैन कार्ड, पासपोर्ट और फोटो का गलत इस्तेमाल कर कोई भी व्यक्ति फर्जी पहचान बनाकर अपराधों को अंजाम दे सकता है। इन्हीं दस्तावेजों के सहारे आजकल सिम कार्ड लिए जा सकते हैं, फर्जी कंपनियां खोली जा सकती हैं, लोन लिए जा सकते हैं या किसी और के नाम पर सरकारी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यदि यह दस्तावेज गलत हाथों में चले जाएं तो किसी भी निर्दोष व्यक्ति की जिंदगी नर्क बन सकती है।

अफसर बोले-जगह की कमी के चलते फाइलें बाहर रखी
इस मामले में डिप्टी कमिश्नर कार्यालय से संबंधित एक सीनियर असिस्टैंट अफसर से बात की गई तो उसने कहा, “यह पुराने रिकार्ड हैं, जो स्टोर रूम से निकाले गए थे। जगह की कमी के चलते कुछ फाइलें बाहर रखी गई हैं, लेकिन जल्द ही इनकी छंटनी करवाई जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी, नाम न छापने की शर्त कहा “कई बार फसलों की भरमार इतनी ज्यादा हो जाती है कि जगह नहीं बचती। कर्मचारियों की कमी और संसाधनों की बदहाली के चलते व्यवस्थाएं बिगड़ जाती हैं।” अब सवाल यह है कि यदि यह “पुराने रिकार्ड” हैं तो भी क्या उनमें लोगों की गोपनीय जानकारी नहीं है? क्या यह प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं कि वह लोगों के निजी दस्तावेजों को या तो सुरक्षित रखे या उनका उचित निस्तारण करे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *