28 मार्च 2025 : वास्तुशास्त्र में दिशाओं महत्व कई अधिक माना जाता है. क्योंकि सही या गलत दिशाओं में रखी वस्तु हो या फिर भवन का निर्माण सभी का प्रभाव मनुष्य की जीवन पर पड़ता है. इसलिए जब भी कोई व्यक्ति अपने नये भवन का निर्माण करवाता है या फिर खरीदता है तो वह हमेशा यह देखता है कि घर कौन से मुखी है, क्योंकि घर का मुख जिस तरफ होता है उसका भी परिवार वालों पर बहुत असर पड़ता है. इसी कड़ी में जिन लोगों के घर उत्तरमुखी हैं, उन लोगों को वास्तु के किन-किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए. इस बारे में ज्योतिषाचार्य व वास्तु सलाहकार डॉ अरविंद पचौरी से विस्तार से जानते हैं.
कैसा होता है उत्तरमुखी मकान
शास्त्रों के अनुसार, उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा माना जाता है. इसके साथ ही इस दिशा में कई देवी-देवताओं का वास माना गया है. वहीं वास्तु की मानें तो उत्तरमुखी घर बहुत शुभ माने जाते हैं, इन्हें भाग्यशाली और समृद्धि लाने वाला माना जाता है. इसके साथ ही इस घर में सकारात्मकता का संचार होता है.
उत्तरमुखी घरों में कुछ विशेष नियमों का जरूर करें पालन
इस दिशा में ना करें चारदीवारी का निर्माण
वास्तुशास्त्र के अनुसार, उत्तरमुखी भवन का निर्माण करवाते समय इस बात का ध्यान रखें की भवन में दक्षिण दिशा की जो चारदीवारी है यानी की बाउंड्री, अन्य दिशाओं की दीवारी के मुकाबले ऊंची हो और अन्य दिशाओं की दीवार की ऊंचाई दक्षिण दिशा से कम होनी चाहिए.
बता दें कि वास्तु के अनुसार, पश्चिम दिशा की दीवार की ऊंचाई दक्षिण दिशा की दीवार से कम रखें और उत्तर और पूर्व दिशा की दिवारों की ऊंचाई दक्षिण और पश्चिम दिशा के मुकाबले कम रखनी चाहिए और जब भी उत्तर दिशा की बाउंड्री का निर्माण हो तो उसे सबसे आखिर में बनवाना चाहिए. ऐसा करने से घर में हमेशा धन की बरकत बनी रहती है.
इस दिशा में ना रखें पेड़-पौधे
अगर आपका घर उत्तमुखी है तो ऐसे में आपको ध्यान रखना होगा कि आप पेड़-पौधे घर की उत्तर दिशा में ना रखें, इससे वास्तुदोष उत्पन्न हो सकता है.
पानी टंकी का भी रखें ध्यान
अगर आपका घर उत्तरमुखी है तो ऐसे में आपको एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि उत्तर-पूर्व दिशा में पानी टंकी ना रखी हो और कभी भी दर्पण दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा की तरफ ना लगा हुआ हो, क्योंकि यह आपके लिए नकारात्मकता बढ़ता है.
