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11 या 12 मार्च, कब है पहला भौम प्रदोष व्रत? आचार्य से जानें पूजन विधि और महत्व!

08 मार्च 2025: प्रदोष तिथि भगवान शिव को समर्पित रहता है. प्रदोष तिथि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने से भगवान भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं और जातक की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण करते हैं. प्रदोष तिथि के दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए. वहीं मार्च का महीना शुरू हो चुका है और मार्च महीने की पहली प्रदोष तिथि बेहद खास है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्च महीना का प्रदोष व्रत साल का अंतिम प्रदोष व्रत है. कब है मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत और क्यों है खास जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से?

क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत अत्यंत हीं खास है. क्योंकि यह भौम प्रदोष व्रत है. मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा. इस दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना अवश्य करें इससे जीवन में सुख समृद्धि की वृद्धि होगी.

कब से शुरू हो रहा प्रदोष तिथि
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार प्रदोष तिथि की शुरुआत 11 मार्च सुबह 08 बजकर 23 मिनट से हो रहा है और समापन अगले दिन यानी 12 सुबह 09 बजकर 43 मिनट में हो रहा है. प्रदोष तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा आराधना होती है. इस दिन का उदयातिथि मान्य नहीं होता. इसीलिए प्रदोष तिथि का व्रत 11 मार्च को ही रखा जाएगा.

क्या करें भौम प्रदोष के दिन
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वैसे तो भौम प्रदोष व्रत सभी के लिए उत्तम है, लेकिन विशेष कर जिन जातक के विवाह में देरी हो रही है या फिर विवाह लगते लगते टूट जाता है. वैसे जातक को भौम प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर संध्या काल में भगवान शिव को पंचामृत अर्पण करनी चाहिए और पंचोपचार विधि से पूजन करे. ऐसा करने से विवाह की समस्या समाप्त हो जाएगी और भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होगी.

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