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फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी पर शुभ योग, जानें मुहूर्त और चंद्रोदय समय

15 फरवरी 2025 : फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में गणेश जी की पूजा की जाएगी. संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और गणेश जी की कृपा से सभी कार्य सफल सिद्ध होते हैं. इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व है. इसके बिना य​ह व्रत पूरा नहीं होगा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी कब है? पूजा मुहूर्त, 2 शुभ योग और चांद निकलने का समय क्या है?

फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025 तारीख
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 15 फरवरी को रात 11 बजकर 52 मिनट पर होगा. चतुर्थी तिथि 17 फरवरी को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक मान्य है. उदयातिथि और चतुर्थी के चांद निकलने के समय के आधार पर देखा जाए तो फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 फरवरी रविवार को रखा जाएगा.

2 शुभ योग में फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025
इस साल की फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 6 बजकर 59 मिनट से अगले दिन 17 फरवरी को प्रात: 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इसी समय में अमृत सिद्धि योग भी बनेगा.

व्रत के ​दिन इनके अलावा धृति योग सुबह में 8 बजकर 6 मिनट तक है. उसके बाद से शूल योग बनेगा. हस्त नक्षत्र प्रात: काल से लेकर 17 फरवरी को प्रात: 4 बजकर 31 मिनट तक है. फिर चित्रा नक्षत्र है. फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में होगी.

फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025 मुहूर्त
फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 16 मिनट से सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक है. यह समय स्नान और दान के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है. चतुर्थी का शुभ मुहूर्त यानि अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक है. लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह में 09:47 बजे से 11:11 बजे तक है, वहीं अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 11 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है.

फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025 चांद निकलने का समय
संकष्टी चतु​र्थी में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व है. चतुर्थी व्रत पर रात 9 बजकर 39 मिनट पर चंद्रोदय होगा. चांद निकलने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करते हैं और उसके बाद व्रत को पूरा करते हैं.

गणेश पूजा मंत्र
गणेश जी की पूजा के लिए आप ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस मंत्र में गणेश जी का बीज मंत्र गं भी शामिल है. इसे मंत्र को पढ़ने से मनोकामनाएं पूरी होती है.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी के दिन संकल्प करके व्रत और पूजन करते हैं. गणेश जी की कृपा से कार्यों में आने वाली विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं. व्यक्ति के जीवन के कष्ट और संकट मिटते हैं. शुभता बढ़ती है. पूजा के समय संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा अवश्य पढ़ें.

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