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महाभारत: कौन से सरोवर में नहाने से युधिष्ठिर और अर्जुन बने स्त्री?

12 फरवरी 2025 : महाभारत में दो ऐसे सरोवरों की बात हुई है, जो शापित थे. इसमें नहाने अगर कोई पुरुष जाता था तो वह स्त्री बन जाता था. बेशक ये बात अविश्वसनीय लगे लेकिन महाभारत में तो ऐसा हुआ है. इसके शिकार युधिष्ठिर भी हुए और अर्जुन भी. हालांकि इसके बाद वो वापस पुरुष कैसे बने इसकी भी एक कहानी है. तो हम जानेंगे वो कौन से सरोवर थे, जिनमें ऐसा हुआ. क्यों ये सरोवर शापित थे.

पहले सरोवर का नाम शंखोद्धार सरोवर था, उसे शंख सरोवर कहते हैं. इसके बारे में ये कहा जाता है कि भगवान शिव ने नाराज होकर शाप दिया था कि जो शंखोद्धार सरोवर (शंख सरोवर) में भी नहाएगा, वह स्त्री बन जाएगा. यह प्रसंग शिव पुराण और कुछ अन्य पौराणिक ग्रंथों में भी आया है.

क्यों शिव ने इस सरोवर को दिया शाप
दरअसल भगवान शिव की नाराजगी की भी वजह थी. एक बार भगवान शिव और माता पार्वती शंखोद्धार सरोवर के पास आराम कर रहे थे. वहां एक शंखासुर नामक राक्षस ने उन्हें परेशान किया. भगवान शिव ने उस राक्षस का वध किया. उसका शंख (कौड़ी) उस सरोवर में गिर गया. तब नाराज होकर भगवान शिव ने सरोवर को शाप दिया कि इसमें जो भी नहाएगा, वह स्त्री बन जाएगा.

युधिष्ठिर इसमें नहाए और स्त्री बन गए
संयोग से युधिष्ठिर शंखोद्धार सरोवर में नहाए और नहाने के चलते स्त्री भी बन गए. युधिष्ठिर ने इस सरोवर में तब भी स्नान किया, जबकि उन्हें मालूम था कि इसमें नहाने पर क्या होता है. उन्होंने ये निर्णय पांडवों के वनवास और अज्ञातवास के दौरान लिया. मुख्य कारण ये था कि वे अपने और भाइयों के पापों से मुक्ति पाना चाहते थे. जीवन में शुद्धता लाना चाहते थे.

महाभारत के अनुसार, पांडवों को द्यूत क्रीड़ा (जुए) में हारने के बाद 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास भोगना पड़ा. इस दौरान वे विभिन्न तीर्थस्थलों और पवित्र स्थानों पर जाते थे. अपने पापों का प्रायश्चित करते थे.

शंखोद्धार सरोवर को एक पवित्र और दिव्य सरोवर माना जाता था. ये सरोवर भगवान शिव से जुड़ा हुआ था. इसमें स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते थे. हालांकि भगवान शिव ने इस सरोवर को ये शाप भी दिया था कि इसमें जो भी स्नान करेगा, वह स्त्री बन जाएगा. इसके बाद भी युधिष्ठिर ने ऐसा किया.

फिर शिव के वरदान से वह वापस पुरुष बने
जैसे ही वह सरोवर में नहाकर बाहर आए. उनका शरीर सुंदर स्त्री में बदल चुका था. तब युधिष्ठिर ने भगवान शिव की तपस्या की. उन्हें प्रसन्न किया. भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वह फिर पुरुष रूप में आ सकते हैं. इस तरह वह फिर से पुरुष बन गए.

हिमालय क्षेत्र में है ये सरोवर
पौराणिक कथाओं में ये सरोवर हिमालय क्षेत्र में स्थित माना जाता था. इसका उल्लेख शिव पुराण और अन्य ग्रंथों में मिलता है. हिमालय क्षेत्र में इसकी सटीक भौगोलिक स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है. इसे अक्सर दिव्य या आध्यात्मिक स्थल के रूप में बताया जाता है. ये भी कहा जाता है कि ये हिमालय के किसी दुर्गम या गुप्त स्थान पर स्थित है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, ये सरोवर कैलाश पर्वत के आसपास स्थित हो सकता है, क्योंकि भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत पर माना जाता है. कुल मिलाकर ये एक रहस्यमयी सरोवर बना हुआ है.

दूसरा सरोवर है बहुला
दूसरा सरोवर बहुला है, ये महाभारत में काम्यक वन में स्थित बताया गया. इस सरोवर के बारे में भी यह मान्यता थी कि इसमें स्नान करने से पुरुष स्त्री में बदल जाता है.

अर्जुन इसमें नहाए और स्त्री बन गए
महाभारत के अनुसार, एक बार अर्जुन और उनके साथी इसी वन में डेरा डाले हुए थे. जब वे घूम रहे थे, तो उन्होंने सुना कि बहुला सरोवर में स्नान करने से पुरुष स्त्री बन जाता है. इस बात की सच्चाई जानने के लिए अर्जुन ने उस सरोवर में स्नान किया. तुरंत ही वह एक सुंदर स्त्री में बदल गए.

अर्जुन फिर वापस कैसे पुरुष बने
ये देखकर उनके साथी आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने अर्जुन को वापस पुरुष बनाने के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन वे सफल नहीं हो सके. आखिर में अर्जुन ने खुद ही अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग करके अपनी पूर्व अवस्था प्राप्त की. आजकल इस सरोवर का कोई पता नहीं है लेकिन इसकी कथा महाभारत में आज भी जीवित है. यह कथा महाभारत के वनपर्व में वर्णित है.

इस सरोवर को किसका श्राप मिला था
यह सरोवर भी एक श्राप के कारण ऐसा हो गया था. कथा के अनुसार, एक समय एक अप्सरा (संभावित रूप से उर्वशी या कोई अन्य अप्सरा) किसी ऋषि को मोहने का प्रयास कर रही थी. उस ऋषि ने क्रोधित होकर उसे श्राप दे दिया कि जो भी पुरुष इस सरोवर में स्नान करेगा, वह स्त्री में बदल जाएगा.इस घटना का एक अन्य संस्करण यह भी कहता है कि अर्जुन को यह परिवर्तन एक पूर्व संकेत था कि आगे चलकर उन्हें अज्ञातवास के दौरान राजा विराट के दरबार में “बृहन्नला” नामक स्त्री रूप धारण करना पड़ेगा.

बहुत सरोवर का भी स्पष्ट भौगोलिक उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन इसे पौराणिक तीर्थों में एक रहस्यमयी और चमत्कारी स्थान माना जाता है. कुछ विद्वान इसे वर्तमान राजस्थान, उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश के किसी प्राचीन तीर्थ स्थल से जोड़कर देखते हैं.

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